प्रोजेरिया (Progeria) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय प्रोजेरिया एक दुर्लभ आनुवांशिक विकार है जिसमें बच्चे असामान्य रूप से जल्दी बूढ़े दिखाई देते हैं। इस स्थिति में शारीरिक विकास मंद पड़ जाता है, त्वचा में झुर्रियां, बालों का झड़ना, तथा हृदय एवं अन्य अंगों में समस्याएं देखने को मिलती हैं। रोगी का जीवनकाल अक्सर सीमित रहता है, परन्तु उचित देखभाल एवं उपचार से जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।कारण ⚠ [b]LMNA जीन में म्यूटेशनप्रोजेरिया का मुख्य कारण LMNA जीन में उत्पन्न दोष है, जिससे नाभिकीय संरचना में असामान्यता आ जाती है। ⚠ [b]आनुवांशिक उत्पत्तियह विकार सामान्यतः डॉमिनेंट पैटर्न में विरासत में मिलता है, परन्तु अधिकतर मामलों में नया म्यूटेशन देखे जाते हैं। ⚠ [b]कोशिकीय ऊर्जा उत्पादन में बाधाइस विकार के कारण कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे तेजी से बूढ़े होने के लक्षण प्रकट होते हैं।[b]लक्षण⚠ [b]त्वचा में झुर्रियां एवं पतलापनबच्चे की त्वचा में शीघ्र झुर्रियां और पतलापन देखा जाता है। ⚠ [b]बालों का झड़ना एवं कम होनाबाल जल्दी झड़ जाते हैं तथा बालों की मात्रा में कमी आती है। ⚠ [b]छोटा कद एवं मंद शारीरिक विकासरोगी का कद छोटे होने के साथ-साथ शारीरिक विकास में भी मंदता होती है। ⚠ [b]जोड़ों में अकड़न एवं मांसपेशियों में कमजोरीमांसपेशियों का संकुचन, जोड़ों में अकड़न तथा गतिशीलता में कमी रोग के लक्षणों में शामिल हैं। ⚠ [b]हृदय संबंधी समस्याएंहृदय पर अतिरिक्त दबाव एवं कार्य में बाधा के कारण हृदय रोग भी उत्पन्न हो सकते हैं।[b]आयुर्वेदिक उपचारप्रोजेरिया का मुख्य उपचार आधुनिक चिकित्सा द्वारा किया जाता है; आयुर्वेदिक उपाय केवल पूरक के रूप में अपनाए जा सकते हैं ताकि रोगी की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शरीर की ऊर्जा बढ़ाने, तनाव कम करने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक होती है। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक स्पष्टता एवं न्यूरोलॉजिकल संतुलन में सुधार लाने में उपयोगी है। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला पाचन तंत्र को साफ रखने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद करता है। ⚠ [b]गुडूचीगुडूची प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित करने एवं शरीर में सूजन कम करने में सहायक होती है। ⚠ [b]योग एवं ध्याननियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी आती है एवं संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]आनुवांशिक रोकथाम संभव नहींचूँकि यह एक आनुवांशिक विकार है, इसका रोकथाम सीधे तौर पर संभव नहीं है; परन्तु प्रारंभिक निदान एवं नियमित चिकित्सकीय निगरानी से रोग के प्रभाव को कम किया जा सकता है। ⚠ [b]समर्थन एवं सहायक देखभालरोजमर्रा के जीवन में उचित पोषण, व्यायाम एवं मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने से रोगी की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। ⚠ [b]परिवारिक काउंसलिंगआनुवांशिक काउंसलिंग से परिवार में रोग के जोखिम की जानकारी प्राप्त कर भविष्य की योजना बनाई जा सकती है।[b]निष्कर्षप्रोजेरिया एक गंभीर आनुवांशिक विकार है जिसमें बच्चे अत्यधिक तेजी से बूढ़े दिखाई देते हैं, जिससे त्वचा, बाल, हड्डियाँ एवं हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आधुनिक चिकित्सा द्वारा इसका उचित प्रबंधन आवश्यक है; साथ ही पूरक आयुर्वेदिक उपाय, जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, त्रिफला, गुडूची एवं नियमित योग एवं ध्यान, से रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। संतुलित आहार, नियमित चिकित्सकीय निगरानी एवं परिवारिक काउंसलिंग से इस विकार के प्रभाव को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है; यदि लक्षण प्रकट हों तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।
