थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पर्पुरा (Thrombotic Thrombocytopenic Purpura) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पर्पुरा एक गंभीर रक्त विकार है जिसमें छोटे रक्त वाहिकाओं में थक्के (ट्रॉम्बस) बन जाते हैं। इससे प्लेटलेट्स की तीव्र कमी, माइक्रोएंजियोपैथिक हीमोलिटिक एनिमिया एवं अंगों में रक्त प्रवाह में अवरोध होता है। यह स्थिति एक आपातकालीन चिकित्सा स्थिति मानी जाती है, जिसमें शीघ्र उपचार अत्यंत आवश्यक होता है।
कारण
⚠ [b]ADAMTS13 एंजाइम की कमीअधिकांश मामलों में शरीर में ADAMTS13 एंजाइम की कमी या इसके खिलाफ ऑटोएंटीबॉडी बनने के कारण वॉनडेल फैक्टर के बड़े मल्टीमरिक कॉम्प्लेक्स जमा हो जाते हैं, जिससे छोटे रक्त वाहिकाओं में थक्के बन जाते हैं।
⚠ [b]संक्रमण, दवाओं एवं अन्य ट्रिगर कारककुछ मामलों में संक्रमण, विशेष दवाओं, गर्भावस्था या अन्य स्वप्रतिरक्षा प्रक्रियाओं से भी इस स्थिति का विकास हो सकता है।
⚠ [b]आनुवांशिक एवं पर्यावरणीय कारककुछ व्यक्तियों में आनुवांशिक प्रवृत्ति तथा बाहरी कारक भी इस विकार के विकसित होने में योगदान कर सकते हैं।
[b]लक्षण⚠ [b]त्वचा पर चकत्ते एवं पर्पुराप्लेटलेट्स की कमी के कारण त्वचा पर हल्के बैंगनी या पीले चकत्ते दिखाई देते हैं।
⚠ [b]अत्यधिक थकान एवं कमजोरीहीमोलिसिस से एनिमिया होने के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी एवं थकान महसूस होती है।
⚠ [b]न्यूरोलॉजिकल लक्षणदिमाग में रक्त प्रवाह में कमी के कारण भ्रम, सिरदर्द, चक्कर एवं कभी-कभी बेहोशी के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
⚠ [b]अंगों में कार्यात्मक हानिगुर्दों, हृदय एवं अन्य महत्वपूर्ण अंगों में थ्रोम्बोसिस के कारण उनके कार्य में अवरोध आ सकता है।
[b]आयुर्वेदिक उपचारथ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पर्पुरा का मुख्य उपचार आधुनिक चिकित्सा द्वारा किया जाता है, जैसे कि प्लाज्मा एक्सचेंज एवं एंटी-इंफ्लेमेटरी उपचार; आयुर्वेदिक उपाय केवल पूरक के रूप में अपनाए जाते हैं ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थों का निष्कासन, सूजन में कमी एवं संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।
⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शरीर की ऊर्जा बढ़ाने, तनाव कम करने एवं तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायक है।
⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक स्पष्टता बढ़ाने एवं न्यूरोलॉजिकल संतुलन में सुधार लाने में उपयोगी मानी जाती है।
⚠ [b]गुडूचीगुडूची प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित करने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद कर सकती है।
⚠ [b]त्रिफलात्रिफला पाचन तंत्र को साफ रखने एवं विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होता है।
⚠ [b]योग एवं ध्याननियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी आती है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]संक्रमण एवं दवाओं का सावधानीपूर्वक प्रबंधनसंक्रमण, दवाओं या अन्य ट्रिगर कारकों से बचाव हेतु चिकित्सकीय सलाह एवं नियमित निगरानी आवश्यक है।
⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद एवं हाइड्रेशन से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है।
⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचयदि रक्त में प्लेटलेट्स या हीमोलिसिस के लक्षण प्रकट हों तो शीघ्र जांच एवं उपचार करवाएं।
⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं विश्राम के अभ्यास से मानसिक तनाव को नियंत्रित करें।
[b]निष्कर्षथ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पर्पुरा एक गंभीर रक्त विकार है जिसमें छोटे रक्त वाहिकाओं में थक्के बनते हैं, प्लेटलेट्स की कमी और हीमोलिसिस होती है, जिससे अंगों में रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। आधुनिक चिकित्सा द्वारा तत्काल उपचार आवश्यक है; साथ ही पूरक आयुर्वेदिक उपाय, जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, गुडूची, त्रिफला एवं नियमित योग एवं ध्यान, से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार एवं विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायता मिल सकती है। स्वस्थ जीवनशैली एवं नियमित चिकित्सकीय निगरानी से इस स्थिति के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है; यदि लक्षण प्रकट हों तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।

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