अमलतास (Indian Laburnum) – परिचय, फायदे, उपयोग और नुकसान परिचय अमलतास एक सुंदर और औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष है, जिसे वैज्ञानिक रूप से Cassia Fistula के नाम से जाना जाता है। यह अपने सुनहरे पीले फूलों और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। आयुर्वेद में अमलतास को प्राकृतिक रेचक (laxative) माना जाता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है। अमलतास के फायदे ✔ कब्ज में राहत दे – अमलतास का गूदा प्राकृतिक रूप से कब्ज को दूर करने में मदद करता है। ✔ शरीर को डिटॉक्स करे – यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है। ✔ त्वचा रोगों में लाभदायक – अमलतास एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होता है, जो त्वचा संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है। ✔ जोड़ों के दर्द में आराम – गठिया और जोड़ों के दर्द में अमलतास का सेवन लाभकारी होता है। ✔ बुखार में राहत दे – अमलतास में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो बुखार कम करने में सहायक हैं। ✔ मूत्र संबंधी समस्याओं में फायदेमंद – यह मूत्र संक्रमण (UTI) को कम करने में मदद करता है। ✔ बालों की सेहत सुधारें – इसका पेस्ट सिर पर लगाने से रूसी और खुजली की समस्या कम होती है। अमलतास के उपयोग 🔹 अमलतास का गूदा – इसे रातभर पानी में भिगोकर सुबह सेवन किया जाता है, जिससे कब्ज में राहत मिलती है। 🔹 अमलतास की छाल – इसका काढ़ा बनाकर त्वचा रोगों और बुखार में उपयोग किया जाता है। 🔹 अमलतास के फूल – इसका अर्क पेट की समस्याओं और मूत्र विकारों में लाभदायक होता है। 🔹 अमलतास का तेल – इसे जोड़ों के दर्द में मालिश के रूप में प्रयोग किया जाता है। अमलतास के नुकसान और सावधानियां ⚠ अधिक मात्रा में सेवन से डायरिया और पेट दर्द हो सकता है। ⚠ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। ⚠ लो ब्लड प्रेशर वाले लोग इसे सावधानी से लें, क्योंकि यह बीपी को और कम कर सकता है। ⚠ बच्चों को सीमित मात्रा में ही देना चाहिए, अन्यथा पेट की समस्या हो सकती है। निष्कर्ष अमलतास एक प्राकृतिक औषधि है, जो कब्ज, त्वचा रोग, जोड़ों के दर्द और शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया में मदद करता है। लेकिन इसका सही मात्रा में और विशेषज्ञ की सलाह अनुसार ही सेवन करना चाहिए, ताकि इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सके।