धावा (Dhava) परिचय धावा, जिसका वैज्ञानिक नाम Anogeissus latifolia है, एक औषधीय और वनस्पति पौधा है जो मुख्य रूप से भारत और आसपास के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पौधा आयुर्वेद में अपनी विभिन्न औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। धावा का उपयोग शरीर के विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है, और यह विशेष रूप से दर्द, सूजन, और त्वचा समस्याओं के उपचार में सहायक होता है। फायदे ✔ शरीर में सूजन और दर्द को कम करता है ✔ घावों के इलाज में सहायक ✔ शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार ✔ पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक ✔ त्वचा रोगों में राहत देता है ✔ रक्तशुद्धि में सहायक उपयोग ✔ धावा की छाल का काढ़ा घावों और सूजन के उपचार में सहायक होता है ✔ इसका अर्क त्वचा की समस्याओं जैसे घमोरियां, चकत्ते और जलन में आराम पहुंचाता है ✔ धावा के पत्तों का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है ✔ धावा का उपयोग रक्तशुद्धि में किया जाता है ✔ इसकी छाल का लेप घावों पर लगाने से जल्दी ठीक होता है नुकसान ⚠ धावा का अत्यधिक सेवन पेट में ऐंठन और जलन का कारण बन सकता है ⚠ इसके सेवन से रक्तदाब में बदलाव हो सकता है, इसलिए उच्च रक्तचाप के मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए ⚠ गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए ⚠ अधिक सेवन से शरीर में निर्जलीकरण हो सकता है निष्कर्ष धावा (Dhava) एक अद्भुत औषधीय पौधा है जो शरीर की विभिन्न समस्याओं जैसे दर्द, सूजन, पाचन समस्याओं, और त्वचा रोगों में सहायक होता है। इसके नियमित उपयोग से शरीर को कई फायदे मिल सकते हैं। हालांकि, इसका अत्यधिक सेवन दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में और चिकित्सकीय सलाह के तहत ही उपयोग करना चाहिए।