प्रसूति ज्वर (Puerperal Fever) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज
प्रसूति ज्वर, जिसे प्यूरपेरल फीवर कहा जाता है, प्रसव के बाद होने वाला संक्रमणजनित बुखार है। यह आमतौर पर अस्वच्छ प्रसव प्रक्रिया, बैक्टीरियल संक्रमण या शरीर में संक्रमण फैलने के कारण होता है। यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। इस लेख में हम प्रसूति ज्वर के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार पर चर्चा करेंगे।
प्रसूति ज्वर के कारण (Causes of Puerperal Fever)
संक्रमण (Infection)
- प्रसव के दौरान बैक्टीरिया का संक्रमण होने से यह बुखार हो सकता है।
अस्वच्छ प्रसव प्रक्रिया (Unhygienic Delivery Practices)
- यदि प्रसव के दौरान स्वच्छता का ध्यान न रखा जाए, तो संक्रमण फैल सकता है।
गर्भाशय में संक्रमण (Uterine Infection)
- डिलीवरी के बाद गर्भाशय में जीवाणु संक्रमण होने से ज्वर आ सकता है।
कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र (Weak Immune System)
- कमजोर इम्यूनिटी वाली महिलाओं में प्रसूति ज्वर का खतरा अधिक होता है।
अपूर्ण गर्भाशय सफाई (Incomplete Uterine Cleansing)
- डिलीवरी के बाद गर्भाशय पूरी तरह साफ न होने से संक्रमण हो सकता है।
प्रसूति ज्वर के लक्षण (Symptoms of Puerperal Fever)
तेज़ बुखार (High Fever)
- प्रसव के बाद 100.4°F या उससे अधिक बुखार आ सकता है।
ठंड लगना (Chills and Shivering)
- शरीर में ठंड लगने के साथ कंपकंपी हो सकती है।
शरीर में दर्द (Body Pain)
- प्रसव के बाद अधिक कमजोरी और बदन दर्द महसूस हो सकता है।
अत्यधिक थकान (Extreme Fatigue)
- शरीर में अत्यधिक थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
पेट में दर्द और सूजन (Abdominal Pain and Swelling)
- गर्भाशय में संक्रमण के कारण पेट दर्द और सूजन हो सकती है।
अप्रिय योनि स्राव (Foul-Smelling Vaginal Discharge)
- योनि से दुर्गंधयुक्त स्राव आ सकता है, जो संक्रमण का संकेत हो सकता है।
प्रसूति ज्वर का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Puerperal Fever)
गिलोय का रस (Giloy Juice)
- गिलोय का रस प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और संक्रमण को दूर करता है।
तुलसी और अदरक का काढ़ा (Basil and Ginger Decoction)
- तुलसी, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा पीने से बुखार में राहत मिलती है।
हल्दी दूध (Turmeric Milk)
- हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो संक्रमण को रोकते हैं।
मुलेठी चूर्ण (Licorice Powder)
- मुलेठी चूर्ण को शहद के साथ लेने से गले की खराश और संक्रमण में आराम मिलता है।
धनिया पानी (Coriander Water)
- धनिया का पानी पीने से शरीर को ठंडक मिलती है और बुखार कम होता है।
भाप लेना (Steam Inhalation)
- भाप लेने से शरीर के अंदरूनी संक्रमण में राहत मिलती है।
प्रसूति ज्वर से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Puerperal Fever)
⚠ प्रसव के दौरान और बाद में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
⚠ अधिक पानी पिएँ और शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
⚠ पोषक आहार लें, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो।
⚠ डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी एंटीबायोटिक्स समय पर लें।
⚠ यदि संक्रमण के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रसूति ज्वर एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन सही सावधानियों और आयुर्वेदिक उपचार से इसे रोका और नियंत्रित किया जा सकता है। यदि बुखार लंबे समय तक बना रहे या लक्षण गंभीर हो जाएँ, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

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