अर्टिकेरिया (Urticaria) - शीतपित, पित्ती उछलना - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज
अर्टिकेरिया, जिसे शीतपित या पित्ती उछलना भी कहा जाता है, एक त्वचा की स्थिति है जिसमें त्वचा पर अचानक खुजली वाले लाल या सफेद चकत्ते (hives) उभर आते हैं। यह स्थिति त्वचा पर जलन, सूजन और खुजली उत्पन्न करती है। अर्टिकेरिया अक्सर शरीर में किसी एलर्जी, संक्रमण या आंतरिक असंतुलन के कारण होती है। इस लेख में हम अर्टिकेरिया के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार पर चर्चा करेंगे।
अर्टिकेरिया (शीतपित) के कारण (Causes of Urticaria)
एलर्जी (Allergic Reactions)
- कुछ खाद्य पदार्थ, कीटाणु, दवाइयाँ या रसायन एलर्जी का कारण बन सकते हैं, जिससे त्वचा पर पित्ती उभर आती है।
दवाइयाँ (Medications)
- कुछ दवाइयाँ, जैसे एंटीबायोटिक्स, नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) या पेनकिलर्स, अर्टिकेरिया उत्पन्न कर सकती हैं।
इन्फेक्शन (Infections)
- बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण, जैसे सर्दी, फ्लू, या हैपेटाइटिस, अर्टिकेरिया का कारण बन सकते हैं।
मौसम में बदलाव (Weather Changes)
- अत्यधिक ठंड, गर्मी या नमी भी त्वचा पर पित्ती का कारण बन सकते हैं।
मानसिक तनाव (Mental Stress)
- तनाव, चिंता या मानसिक दबाव के कारण भी शरीर में अर्टिकेरिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
शारीरिक उत्तेजना (Physical Triggers)
- अधिक व्यायाम, गर्मी, या त्वचा पर दबाव डालने से अर्टिकेरिया हो सकती है।
अर्टिकेरिया (शीतपित) के लक्षण (Symptoms of Urticaria)
खुजली (Itching)
- पित्ती उभरने के साथ त्वचा में तेज खुजली होती है, जिससे व्यक्ति को असहजता महसूस होती है।
लाल धब्बे (Red Spots)
- त्वचा पर लाल, उभरे हुए धब्बे (hives) दिखाई देते हैं, जो कभी छोटे और कभी बड़े हो सकते हैं।
स्वेलिंग (Swelling)
- प्रभावित क्षेत्र पर सूजन और जलन हो सकती है।
दर्द (Pain)
- कुछ मामलों में त्वचा पर दर्द और संवेदनशीलता महसूस हो सकती है।
गर्मी (Warmth)
- प्रभावित क्षेत्र में हल्की सी गर्मी महसूस हो सकती है।
अर्टिकेरिया (शीतपित) का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Urticaria)
तुलसी का रस (Tulsi Juice)
- तुलसी के पत्तों का रस पित्ती और खुजली को शांत करने में सहायक होता है, क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
नीम का पेस्ट (Neem Paste)
- नीम की पत्तियों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से सूजन, जलन और खुजली में राहत मिलती है।
अलसी का तेल (Flaxseed Oil)
- अलसी का तेल त्वचा को हाइड्रेट करता है और उसमें सूजन और खुजली को कम करने में मदद करता है।
हल्दी (Turmeric)
- हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो अर्टिकेरिया से होने वाली सूजन और जलन को शांत करते हैं।
अंजीर का सेवन (Fig Consumption)
- अंजीर के सेवन से शरीर में रक्त शुद्ध होता है और पित्ती की समस्या कम होती है।
गिलोय का रस (Giloy Juice)
- गिलोय का रस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और त्वचा की एलर्जी को नियंत्रित करता है।
अर्टिकेरिया से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Urticaria)
⚠ एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों से बचें, जैसे कुछ खाद्य पदार्थ, रसायन या कीटनाशक।
⚠ गर्म और ठंडी परिस्थितियों से बचें और त्वचा को बचाकर रखें।
⚠ तनाव और मानसिक दबाव को कम करने के लिए योग और ध्यान करें।
⚠ दवाइयों के सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।
निष्कर्ष (Conclusion)
अर्टिकेरिया (शीतपित) एक आम त्वचा समस्या है, जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है। यदि लक्षण अधिक गंभीर हों या लगातार बने रहें, तो चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है। आयुर्वेद में अर्टिकेरिया के उपचार के लिए प्राकृतिक और प्रभावी उपाय उपलब्ध हैं, जो शरीर को शांत करने और त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

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