अर्धकपारी (Nugrabe) – आधे सिर का दर्द: कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
अर्धकपारी, जिसे अंग्रेजी में माइग्रेन (Migraine) भी कहा जाता है, एक प्रकार का सिरदर्द है जो आमतौर पर सिर के आधे हिस्से में होता है। यह दर्द तीव्र हो सकता है और कई बार उल्टी, जी मिचलाना, ध्वनि और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता जैसी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाया जाता है और यह कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बना रह सकता है।
अर्धकपारी के मुख्य कारण
मानसिक तनाव और चिंता – अधिक मानसिक दबाव, चिंता और तनाव माइग्रेन का कारण बन सकते हैं।
अनियमित दिनचर्या – देर रात तक जागना, पर्याप्त नींद न लेना, और असंतुलित आहार माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।
हार्मोनल परिवर्तन – महिलाओं में मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान माइग्रेन होने की संभावना अधिक होती है।
आंखों पर अत्यधिक दबाव – मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन को लगातार देखने से आँखों की थकान माइग्रेन को बढ़ा सकती है।
गैस्ट्रिक समस्या – अपच, एसिडिटी और पेट में गैस बनने से सिर में भारीपन और माइग्रेन हो सकता है।
शरीर में पानी की कमी – डीहाइड्रेशन के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे सिरदर्द हो सकता है।
अत्यधिक कैफीन या शराब का सेवन – चाय, कॉफी या शराब का अधिक सेवन माइग्रेन का कारण बन सकता है।
अर्धकपारी (माइग्रेन) के लक्षण
⚠ सिर के एक तरफ तेज़ दर्द होना।
⚠ दर्द के साथ मतली और उल्टी की समस्या।
⚠ ध्वनि और तेज़ रोशनी के प्रति संवेदनशीलता।
⚠ सिर में धड़कन जैसा महसूस होना।
⚠ चिड़चिड़ापन और थकान का अनुभव।
⚠ आँखों के सामने धुंधलापन या काले धब्बे दिखना।
⚠ भूख न लगना और उल्टी के बाद कमजोरी महसूस होना।
अर्धकपारी (माइग्रेन) का आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार
ब्रह्मी और शंखपुष्पी का सेवन – यह मस्तिष्क को शांत करके माइग्रेन के दर्द को कम करता है।
तुलसी और अदरक की चाय – तुलसी और अदरक का सेवन सिरदर्द को कम करने में सहायक होता है।
नाक में गाय के घी की बूँदें डालें – सुबह-शाम नाक में 2-2 बूँद देसी गाय का घी डालने से माइग्रेन में राहत मिलती है।
त्रिफला चूर्ण का सेवन – यह पेट की समस्याओं को दूर करता है और माइग्रेन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
सिर पर नारियल या बादाम तेल की मालिश करें – इससे सिर को ठंडक मिलती है और दर्द में राहत मिलती है।
गुनगुने पानी से स्नान करें – इससे रक्त संचार बेहतर होता है और माइग्रेन के दर्द में आराम मिलता है।
योग और ध्यान करें – प्राणायाम, शवासन और ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और माइग्रेन की समस्या कम होती है।
माइग्रेन से बचाव के उपाय
⚠ प्रतिदिन कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
⚠ तनाव को नियंत्रित करने के लिए योग और ध्यान करें।
⚠ कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर अधिक देर तक देखने से बचें।
⚠ संतुलित आहार लें और अधिक तली-भुनी चीज़ों से दूर रहें।
⚠ रोज़ाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ।
⚠ अत्यधिक चाय, कॉफी और शराब से बचें।
⚠ माइग्रेन ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थों जैसे चॉकलेट, फास्ट फूड और प्रिजर्वेटिव युक्त भोजन से बचें।
निष्कर्ष
अर्धकपारी (माइग्रेन) एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन सही दिनचर्या, आहार और आयुर्वेदिक उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि माइग्रेन लगातार बना रहता है या बहुत तीव्र होता है, तो चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर माइग्रेन की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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