स्वस्तिकासन (Swastikasana) - Auspicious Pose परिचय स्वस्तिकासन, जिसे अंग्रेजी में Swastikasana (Auspicious Pose) कहा जाता है, एक सरल ध्यान योग मुद्रा है जो शरीर और मन को शांति प्रदान करती है। इस आसन का नाम संस्कृत शब्द स्वस्तिक से लिया गया है, जिसका अर्थ शुभ या सौभाग्यशाली होता है। यह मुद्रा ध्यान, प्राणायाम और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए आदर्श मानी जाती है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से शरीर संतुलित और मन एकाग्रचित्त होता है। विधि 1️⃣ समतल स्थान पर योगा मैट बिछाएं और उस पर बैठ जाएं। 2️⃣ दोनों पैरों को मोड़ें और इस तरह रखें कि बायां पैर दाहिने पैर की जांघ और पिंडली के बीच आ जाए। 3️⃣ दायां पैर भी इसी प्रकार रखें ताकि दोनों पैर एक-दूसरे को क्रॉस करते हुए एक शुभ संकेत (स्वस्तिक) का आभास दें। 4️⃣ रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और दोनों हाथों को घुटनों पर ध्यान मुद्रा में रखें। 5️⃣ आंखें बंद करें और गहरी सांस लेते हुए ध्यान केंद्रित करें। 6️⃣ इस स्थिति में 10-15 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं। लाभ ✅ ध्यान और प्राणायाम के लिए आदर्श मुद्रा। ✅ मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है। ✅ रीढ़ की हड्डी को सीधा और मजबूत बनाए रखता है। ✅ रक्त संचार को बेहतर बनाता है और थकान कम करता है। ✅ शारीरिक संतुलन बनाए रखता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। ✅ पाचन शक्ति को बेहतर बनाने में सहायक होता है। सावधानियां और निषेध 🚫 घुटनों या पैरों में दर्द हो तो इस आसन को करने से बचें। 🚫 जिन लोगों को गठिया, साइटिका या कमर दर्द की समस्या है, वे योग विशेषज्ञ की सलाह लें। 🚫 अधिक देर तक इस मुद्रा में न बैठें यदि असहज महसूस हो। 🚫 सही मुद्रा का ध्यान रखें, गलत तरीके से बैठने पर शरीर में असंतुलन हो सकता है। निष्कर्ष स्वस्तिकासन (Auspicious Pose) एक सहज और प्रभावी योग मुद्रा है, जो ध्यान और मानसिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। यह शरीर को संतुलित रखता है और मन को एकाग्र करने में सहायक होता है। यदि इसे सही ढंग से और नियमित रूप से किया जाए, तो यह संपूर्ण स्वास्थ्य और आत्मिक शांति प्रदान करता है।