Hantavirus – हंटावायरस Hantavirus एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो संक्रमित कृन्तकों (Rodents) के संपर्क में आने या उनके मूत्र, मल और लार के माध्यम से फैलता है। यह वायरस हंटावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम (HPS) और हेमोरेजिक फीवर विद रीनल सिंड्रोम (HFRS) जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। यह संक्रमण मुख्य रूप से फेफड़ों और गुर्दों को प्रभावित करता है और यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो घातक हो सकता है। आयुर्वेद में इसे शरीर में विषाक्तता के असंतुलन के रूप में देखा जाता है, जिसका उपचार शरीर को शुद्ध करना, प्रतिरक्षा को मजबूत करना और संक्रमण को नियंत्रित करना होता है। Hantavirus के कारण (Causes of Hantavirus) ⚠ संक्रमित चूहों या अन्य कृन्तकों के मूत्र, मल और लार के संपर्क में आना ⚠ दूषित धूल या हवा में वायरस युक्त कणों को सांस के साथ लेना ⚠ संक्रमित कृन्तकों के काटने से वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है ⚠ दूषित भोजन और पानी के सेवन से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है Hantavirus के लक्षण (Symptoms of Hantavirus) ⚠ तेज बुखार और ठंड लगना ⚠ सिरदर्द और मांसपेशियों में तेज दर्द ⚠ सूखी खांसी और सांस लेने में कठिनाई ⚠ थकान और भूख की कमी ⚠ पेट दर्द, उल्टी और दस्त ⚠ गंभीर मामलों में फेफड़ों में तरल पदार्थ भरना और गुर्दों की समस्याएँ Hantavirus का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Hantavirus) आयुर्वेद में Hantavirus संक्रमण का उपचार शरीर की शुद्धि, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और संक्रमण को नियंत्रित करने पर केंद्रित होता है। ⚠ गिलोय – यह शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है ⚠ हल्दी – इसके एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और संक्रमण को कम करते हैं ⚠ तुलसी – फेफड़ों को मजबूत करती है और श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखती है ⚠ अश्वगंधा – शरीर की ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है ⚠ अदरक – यह शरीर की प्रतिरक्षा को मजबूत करता है और श्वसन तंत्र को साफ करता है Hantavirus से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Hantavirus) ⚠ घर और आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ और कृन्तकों से मुक्त रखें ⚠ संक्रमित कृन्तकों के मूत्र और मल के संपर्क से बचें ⚠ खाने-पीने की वस्तुओं को ढककर रखें और दूषित स्थानों से दूर रहें ⚠ यदि कृन्तकों का संक्रमण हो तो दस्ताने और मास्क पहनकर सफाई करें ⚠ यदि किसी को इस वायरस के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें निष्कर्ष (Conclusion) Hantavirus एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो संक्रमित कृन्तकों के संपर्क में आने से फैलता है। यह संक्रमण फेफड़ों और गुर्दों को प्रभावित करता है और घातक हो सकता है। आयुर्वेद में इस रोग के उपचार के लिए शरीर को शुद्ध करने, प्रतिरक्षा को बढ़ाने और प्राकृतिक औषधियों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। सही सावधानियाँ अपनाकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है।
