Varicella – वैरिकेला Varicella जिसे आमतौर पर चिकनपॉक्स के रूप में जाना जाता है, एक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो वरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होता है। यह मुख्य रूप से बच्चों में पाया जाता है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है। इसमें शरीर पर लाल दाने, खुजली और बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमण श्वसन बूंदों और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। आयुर्वेद में इस रोग के उपचार के लिए शरीर को शुद्ध करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और खुजली तथा जलन को कम करने पर ध्यान दिया जाता है। Varicella के कारण (Causes of Varicella) ⚠ वरिसेला-जोस्टर वायरस का संक्रमण ⚠ संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना ⚠ खांसने या छींकने से हवा के माध्यम से संक्रमण फैलना ⚠ दूषित वस्तुओं या सतहों को छूने के बाद आंख, नाक या मुंह को छूना Varicella के लक्षण (Symptoms of Varicella) ⚠ हल्का बुखार और कमजोरी ⚠ शरीर पर लाल दाने और खुजली ⚠ सिरदर्द और थकान ⚠ भूख में कमी ⚠ गले में हल्का दर्द ⚠ जलन और सूजन वाले दाने जो बाद में पपड़ी में बदल जाते हैं Varicella का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Varicella) आयुर्वेद में Varicella के उपचार के लिए शरीर को ठंडक पहुंचाने और विषैले तत्वों को बाहर निकालने पर ध्यान दिया जाता है। ⚠ नीम के पत्ते – स्नान के पानी में नीम के पत्ते डालकर नहाने से संक्रमण कम होता है और त्वचा को आराम मिलता है ⚠ तुलसी का काढ़ा – प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए तुलसी का सेवन करना फायदेमंद होता है ⚠ चंदन का लेप – शरीर पर चंदन का लेप लगाने से खुजली और जलन में राहत मिलती है ⚠ आंवला – इसमें मौजूद विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ⚠ हल्दी और शहद – हल्दी और शहद का मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और घावों को जल्दी भरने में मदद करता है ⚠ कोकम शरबत – शरीर में ठंडक बनाए रखने और जलन को कम करने में सहायक होता है Varicella से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Varicella) ⚠ संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें ⚠ हाथ धोने की आदत डालें और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें ⚠ संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, तौलिए और अन्य वस्तुएं साझा न करें ⚠ पौष्टिक आहार लें और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें ⚠ पर्याप्त आराम करें और शरीर को हाइड्रेटेड रखें निष्कर्ष (Conclusion) Varicella एक संक्रामक रोग है जो वरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होता है और त्वचा पर खुजलीदार दाने, बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। हालांकि यह संक्रमण कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन उचित देखभाल और आयुर्वेदिक उपचार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। स्वच्छता का ध्यान रखकर और संक्रमण से बचने के उपाय अपनाकर इस रोग को फैलने से रोका जा सकता है।