रिकेट्स (Rickets) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक समाधान रिकेट्स एक हड्डी से संबंधित रोग है, जो मुख्य रूप से बच्चों में पाया जाता है। यह रोग तब होता है जब शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी हो जाती है, जिससे हड्डियां कमजोर और विकृत हो जाती हैं। आयुर्वेद में इसे अस्थि विकारों में शामिल किया गया है, जिसका मुख्य कारण वात और कफ दोष का असंतुलन माना जाता है। इस लेख में हम रिकेट्स के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक समाधान के बारे में विस्तार से जानेंगे। रिकेट्स के कारण (Causes of Rickets) ⚠ विटामिन डी की कमी - शरीर में विटामिन डी की कमी से कैल्शियम और फॉस्फोरस का अवशोषण सही तरीके से नहीं हो पाता, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ⚠ कुपोषण - यदि आहार में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो, तो हड्डियों का सही विकास नहीं हो पाता। ⚠ धूप की कमी - धूप विटामिन डी का प्रमुख स्रोत है। जो बच्चे पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं लेते, उनमें रिकेट्स होने की संभावना अधिक होती है। ⚠ कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी - इन खनिजों की कमी से हड्डियों का निर्माण कमजोर हो जाता है। ⚠ अनुवांशिक कारण - कुछ मामलों में यह बीमारी परिवार में अनुवांशिक रूप से भी पाई जाती है। रिकेट्स के लक्षण (Symptoms of Rickets) ⚠ हड्डियों में दर्द और कमजोरी - हड्डियों में दर्द और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना। ⚠ हड्डियों का मुड़ना - पैरों की हड्डियां बाहर की ओर मुड़ सकती हैं, जिससे बच्चे का चलना प्रभावित होता है। ⚠ कद का धीमा विकास - बच्चों की लंबाई सामान्य से कम रह जाती है। ⚠ दांतों में समस्या - देर से दांत निकलना, कमजोर दांत और तामचीनी का क्षरण। ⚠ सिर और पसलियों की हड्डियों का असामान्य रूप से बढ़ना - सिर बड़ा और पसलियों की हड्डियां उभरी हुई दिखाई देती हैं। ⚠ मांसपेशियों में ऐंठन - कैल्शियम की कमी के कारण मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन हो सकती है। रिकेट्स का आयुर्वेदिक समाधान (Ayurvedic Treatment for Rickets) ⚠ अश्वगंधा (Ashwagandha) - हड्डियों की मजबूती बढ़ाने और शारीरिक विकास में सहायक। ⚠ शंखभस्म (Shankh Bhasma) - यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। ⚠ तिल के बीज (Sesame Seeds) - तिल में कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ⚠ अमलकी (Amla) - विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आंवला हड्डियों के विकास में सहायक होता है। ⚠ त्रिफला (Triphala) - हड्डियों की कमजोरी को दूर करने और शरीर में पोषण बढ़ाने के लिए फायदेमंद। ⚠ हल्दी (Turmeric) - सूजन को कम करने और हड्डियों की मजबूती बढ़ाने के लिए उपयोगी। ⚠ गोमूत्र (Cow Urine Therapy) - आयुर्वेद में इसे वात दोष को संतुलित करने के लिए लाभकारी माना गया है। रिकेट्स के लिए आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle for Rickets) ⚠ धूप में समय बिताएं – सुबह की हल्की धूप में 20-30 मिनट तक रहने से शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ता है। ⚠ कैल्शियम युक्त आहार लें – दूध, दही, पनीर, तिल, बाजरा और हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं। ⚠ फॉस्फोरस युक्त भोजन का सेवन करें – दालें, नट्स और साबुत अनाज हड्डियों के लिए लाभकारी होते हैं। ⚠ नियमित व्यायाम करें – हल्की फिजिकल एक्टिविटी और योग करने से हड्डियों की मजबूती बनी रहती है। ⚠ तैलीय मछली का सेवन करें – यदि भोजन में मछली शामिल हो, तो सैल्मन और ट्यूना जैसी मछलियां विटामिन डी का अच्छा स्रोत हो सकती हैं। योग और व्यायाम (Yoga and Exercise for Rickets) ⚠ भुजंगासन (Cobra Pose) – हड्डियों की मजबूती बढ़ाने के लिए प्रभावी। ⚠ ताड़ासन (Mountain Pose) – शरीर में संतुलन बनाए रखने और हड्डियों को सही आकार में रखने के लिए उपयोगी। ⚠ सेतुबंध आसन (Bridge Pose) – हड्डियों को मजबूत करने और लचीला बनाए रखने में मदद करता है। ⚠ प्राणायाम – अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाकर हड्डियों की कमजोरी को दूर करने में सहायक होते हैं। निष्कर्ष (Conclusion) रिकेट्स बच्चों में हड्डियों की कमजोरी से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जो विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी के कारण होती है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, संतुलित आहार और नियमित धूप के संपर्क से इस समस्या को रोका जा सकता है। यदि रिकेट्स के लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।