मैरास्मस (Marasmus) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक समाधान
मैरास्मस एक गंभीर कुपोषण संबंधी रोग है, जो मुख्य रूप से ऊर्जा और प्रोटीन की अत्यधिक कमी के कारण होता है। यह विशेष रूप से छोटे बच्चों में देखा जाता है, जिनका आहार संतुलित नहीं होता। इस रोग में शरीर की चर्बी और मांसपेशियां अत्यधिक कमजोर हो जाती हैं, जिससे बच्चे अत्यधिक पतले और कमजोर दिखते हैं। आयुर्वेद में इसे दोषों के असंतुलन और शरीर में पोषण तत्वों की गंभीर कमी के रूप में देखा जाता है।
इस लेख में हम मैरास्मस के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
मैरास्मस के कारण (Causes of Marasmus)
प्रोटीन और कैलोरी की कमी
- लंबे समय तक पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व न मिलने के कारण शरीर कमजोर हो जाता है।
अत्यधिक भूखमरी
- यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक भोजन न मिले या बहुत कम मात्रा में भोजन मिले, तो मैरास्मस हो सकता है।
पाचन तंत्र की समस्या
- जब शरीर भोजन को सही तरीके से पचा और अवशोषित नहीं कर पाता, तो पोषण की कमी हो जाती है।
संक्रमण और बीमारी
- लगातार संक्रमण या बीमारियां शरीर की पोषण आवश्यकताओं को बढ़ा सकती हैं, जिससे कुपोषण हो सकता है।
गरीबी और अस्वच्छता
- आर्थिक तंगी और अस्वच्छ जीवनशैली के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
मां के दूध की कमी
- नवजात शिशुओं को यदि पर्याप्त मात्रा में मां का दूध नहीं मिलता, तो उनमें पोषण की कमी हो सकती है।
मैरास्मस के लक्षण (Symptoms of Marasmus)
अत्यधिक कमजोरी और वजन घटना
- शरीर में चर्बी और मांसपेशियों की कमी के कारण व्यक्ति बहुत पतला हो जाता है।
त्वचा का ढीला पड़ना
- शरीर में चर्बी कम हो जाने के कारण त्वचा ढीली और झुर्रीदार हो जाती है।
शरीर में ऊर्जा की कमी
- व्यक्ति में कोई भी काम करने की शक्ति नहीं रहती और वह हर समय सुस्त महसूस करता है।
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना
- इम्यून सिस्टम कमजोर होने से व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ सकता है।
बच्चों की वृद्धि रुक जाना
- मैरास्मस से प्रभावित बच्चों की लंबाई और वजन सामान्य से काफी कम हो जाता है।
अत्यधिक चिड़चिड़ापन
- बच्चे सामान्य से ज्यादा चिड़चिड़े और बेचैन हो सकते हैं।
मैरास्मस का आयुर्वेदिक समाधान (Ayurvedic Treatment for Marasmus)
आश्वगंधा (Ashwagandha)
- शरीर को बल प्रदान करने और वजन बढ़ाने में सहायक।
शतावरी (Shatavari)
- पाचन में सुधार करके शरीर को पोषण प्रदान करता है।
गिलोय (Giloy)
- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और संक्रमण से बचाने में सहायक।
बाला (Bala)
- शरीर को ताकत देने और कमजोरी दूर करने में फायदेमंद।
च्यवनप्राश
- संपूर्ण पोषण देने वाला आयुर्वेदिक टॉनिक, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
अंजीर और खजूर
- वजन बढ़ाने और शरीर को मजबूत करने में सहायक।
मैरास्मस के लिए आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle for Marasmus)
ऊर्जा और प्रोटीन युक्त आहार लें – दूध, दही, घी, फल, मेवे और अनाज का सेवन करें।
हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं – पालक, मेथी और सहजन जैसी सब्जियां पोषण प्रदान करती हैं।
नारियल पानी पिएं – शरीर को हाइड्रेटेड रखने और ऊर्जा देने के लिए लाभकारी।
मां का दूध जरूरी है – नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध सर्वोत्तम पोषण स्रोत है।
प्रसंस्कृत और जंक फूड से बचें – यह शरीर में पोषण की कमी को और बढ़ा सकता है।
योग और व्यायाम (Yoga and Exercise for Marasmus)
सूर्य नमस्कार – शरीर को सक्रिय और ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक।
भुजंगासन (Cobra Pose) – पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
प्राणायाम – श्वसन क्रिया को सुधारकर शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
बालासन (Child Pose) – शरीर को आराम देकर ऊर्जा प्रदान करता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मैरास्मस एक गंभीर पोषण संबंधी समस्या है, जो शरीर को कमजोर और अस्वस्थ बना सकती है। संतुलित आहार, सही जीवनशैली और आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

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