पॉलीमायल्जिया रूमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक समाधान
पॉलीमायल्जिया रूमेटिका एक सूजन संबंधी विकार है, जो मुख्य रूप से वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में मांसपेशियों में जकड़न, सूजन और दर्द होता है, खासकर गर्दन, कंधों, पीठ और कूल्हों में। यह रोग ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया से जुड़ा हो सकता है और अक्सर सुबह के समय लक्षण अधिक गंभीर होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, यह विकार वात दोष के असंतुलन के कारण उत्पन्न होता है, जिससे शरीर में सूजन और कठोरता बढ़ती है। इस लेख में हम पॉलीमायल्जिया रूमेटिका के कारण, लक्षण, उपचार और आयुर्वेदिक समाधान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
पॉलीमायल्जिया रूमेटिका के कारण (Causes of Polymyalgia Rheumatica)
ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया – शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ ऊतकों पर हमला करने लगती है।
आनुवंशिक कारण – यदि परिवार में किसी को यह विकार रहा हो, तो जोखिम बढ़ सकता है।
सूजन संबंधी विकार – अन्य सूजन संबंधी बीमारियों, जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस के कारण यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
वायरल संक्रमण – कुछ मामलों में वायरल संक्रमण के बाद यह समस्या शुरू हो सकती है।
उम्र और लिंग – यह रोग 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक होता है और महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाया जाता है।
पॉलीमायल्जिया रूमेटिका के लक्षण (Symptoms of Polymyalgia Rheumatica)
⚠ सुबह के समय मांसपेशियों में कठोरता और दर्द
⚠ गर्दन, कंधों, कूल्हों और जांघों में जकड़न
⚠ थकान और ऊर्जा की कमी
⚠ हल्का बुखार और बेचैनी
⚠ वजन घटना
⚠ भूख न लगना
⚠ अवसाद और चिड़चिड़ापन
⚠ सोने में कठिनाई
पॉलीमायल्जिया रूमेटिका का आयुर्वेदिक समाधान (Ayurvedic Treatment for Polymyalgia Rheumatica)
आयुर्वेद में इस विकार को वात और पित्त दोष के असंतुलन से जोड़ा जाता है। इसे संतुलित करने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जाता है।
अश्वगंधा (Ashwagandha) – यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और सूजन को कम करता है।
हरिद्रा (Turmeric) – इसमें मौजूद करक्यूमिन सूजन और दर्द को कम करने में सहायक है।
गुग्गुल (Guggul) – यह जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन को कम करता है।
त्रिफला (Triphala) – शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
शतावरी (Shatavari) – यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और वात दोष को संतुलित करता है।
मुलेठी (Licorice) – यह एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है और सूजन को कम करता है।
तिल का तेल (Sesame Oil Massage) – प्रभावित क्षेत्रों पर तिल के तेल की मालिश करने से दर्द और जकड़न में राहत मिलती है।
पॉलीमायल्जिया रूमेटिका के लिए आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle for Polymyalgia Rheumatica)
⚠ ताजा और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज।
⚠ अधिक तेल और वसा युक्त खाद्य पदार्थों से बचें।
⚠ विटामिन डी और कैल्शियम युक्त आहार लें, जैसे दूध, दही और हरी पत्तेदार सब्जियां।
⚠ हल्दी वाला दूध पिएं, इससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
⚠ धूम्रपान और शराब से बचें।
⚠ तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।
⚠ रोजाना हल्का व्यायाम करें, जैसे टहलना या स्ट्रेचिंग।
योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayama for Polymyalgia Rheumatica)
भुजंगासन (Bhujangasana) – यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और दर्द को कम करता है।
मर्कटासन (Markatasana) – यह कमर और कूल्हों की मांसपेशियों को आराम देता है।
अनुलोम-विलोम (Alternate Nostril Breathing) – यह शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है और सूजन को कम करता है।
बालासन (Balasana) – यह मांसपेशियों में तनाव को कम करता है और लचीलेपन को बढ़ाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पॉलीमायल्जिया रूमेटिका एक सूजन से जुड़ा विकार है, जो मुख्य रूप से वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है। यह मांसपेशियों में कठोरता, जकड़न और दर्द का कारण बनता है। उचित आहार, योग, प्राणायाम और आयुर्वेदिक उपचारों की मदद से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

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