हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी (Hepatic Encephalopathy) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो लिवर (यकृत) की खराबी के कारण होता है। जब लिवर शरीर से विषाक्त पदार्थों को सही ढंग से बाहर नहीं निकाल पाता, तो ये टॉक्सिन्स रक्त में जमा हो जाते हैं और मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को मानसिक भ्रम, याददाश्त की कमी और बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में हम हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी के कारण (Causes of Hepatic Encephalopathy) ⚠ लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) - लिवर की पुरानी क्षति के कारण यह सही ढंग से काम नहीं कर पाता, जिससे टॉक्सिन्स शरीर में जमा हो जाते हैं। ⚠ अमोनिया का बढ़ना (Increased Ammonia Levels) - जब लिवर अमोनिया को बाहर नहीं निकाल पाता, तो यह मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। ⚠ पाचन तंत्र में रक्तस्राव (Gastrointestinal Bleeding) - लिवर रोग से ग्रसित व्यक्तियों में पेट और आंतों से रक्तस्राव होने पर टॉक्सिन्स तेजी से बढ़ सकते हैं। ⚠ संक्रमण (Infections) - बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण लिवर को कमजोर कर सकता है और इस स्थिति को उत्पन्न कर सकता है। ⚠ शराब का अत्यधिक सेवन (Excessive Alcohol Consumption) - अधिक शराब पीने से लिवर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे विषाक्त पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। ⚠ कब्ज और डिहाइड्रेशन (Constipation and Dehydration) - लिवर की कार्यक्षमता कम होने पर पाचन में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे विषाक्त पदार्थों का स्तर बढ़ सकता है। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी के लक्षण (Symptoms of Hepatic Encephalopathy) ⚠ मानसिक भ्रम (Mental Confusion) - व्यक्ति को सोचने और समझने में कठिनाई होती है। ⚠ मेमोरी लॉस (Memory Loss) - याददाश्त कमजोर हो जाती है और व्यक्ति भूतकाल की बातें भूलने लगता है। ⚠ हाथ कांपना (Tremors in Hands) - टॉक्सिन्स के बढ़ने से हाथ कांपने लगते हैं और संतुलन बिगड़ सकता है। ⚠ नींद में गड़बड़ी (Sleep Disturbances) - दिन में अधिक नींद आना और रात में नींद न आना इस बीमारी का संकेत हो सकता है। ⚠ बेहोशी (Unconsciousness) - गंभीर स्थिति में व्यक्ति कोमा में जा सकता है। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Hepatic Encephalopathy) ⚠ भृंगराज (Bhringraj) - भृंगराज लिवर के लिए एक बेहतरीन हर्बल टॉनिक है, जो लिवर की सफाई में मदद करता है। ⚠ आंवला (Amla) - आंवला एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और लिवर को स्वस्थ बनाए रखता है। ⚠ त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder) - यह पाचन सुधारता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है। ⚠ गिलोय (Giloy) - गिलोय इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और लिवर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है। ⚠ कटुकी (Kutki) - कटुकी लिवर को साफ करती है और हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी के जोखिम को कम करती है। ⚠ हल्दी (Turmeric) - हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो लिवर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Hepatic Encephalopathy) ⚠ शराब और धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करें। ⚠ फाइबर युक्त भोजन करें, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ बना रहे। ⚠ ज्यादा नमक और तली-भुनी चीजों के सेवन से बचें। ⚠ नियमित रूप से पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेटेड रखें। ⚠ लिवर की जांच नियमित रूप से करवाएं, खासकर यदि पहले कोई लिवर संबंधी समस्या रही हो। ⚠ तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें। निष्कर्ष (Conclusion) हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी एक गंभीर समस्या है, जो लिवर की खराबी के कारण होती है। इसका समय पर इलाज और उचित देखभाल आवश्यक है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और सही आहार से लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है। यदि लक्षण बढ़ते जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।