हाइपरपैराथायरायडिज्म (Hyperparathyroidism) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
हाइपरपैराथायरायडिज्म एक अंतःस्रावी विकार है, जिसमें पैराथायराइड ग्रंथियां अत्यधिक पैराथायराइड हार्मोन (PTH) का उत्पादन करती हैं। इससे शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हड्डियों, किडनी और तंत्रिका तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह रोग प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। इस लेख में हम इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हाइपरपैराथायरायडिज्म के प्रकार (Types of Hyperparathyroidism)
प्राथमिक हाइपरपैराथायरायडिज्म (Primary Hyperparathyroidism)
- यह तब होता है जब पैराथायराइड ग्रंथियां किसी ट्यूमर या अनुवांशिक कारणों से अत्यधिक PTH का उत्पादन करती हैं।
द्वितीयक हाइपरपैराथायरायडिज्म (Secondary Hyperparathyroidism)
- यह लंबे समय तक कैल्शियम की कमी, विटामिन डी की कमी या किडनी रोग के कारण उत्पन्न होता है।
तृतीयक हाइपरपैराथायरायडिज्म (Tertiary Hyperparathyroidism)
- यह तब होता है जब लंबे समय तक द्वितीयक हाइपरपैराथायरायडिज्म के कारण पैराथायराइड ग्रंथियां स्थायी रूप से अति सक्रिय हो जाती हैं।
हाइपरपैराथायरायडिज्म के कारण (Causes of Hyperparathyroidism)
पैराथायराइड ग्रंथि में ट्यूमर (Parathyroid Adenoma)
- सौम्य ट्यूमर के कारण ग्रंथि अत्यधिक PTH हार्मोन बनाने लगती है।
विटामिन डी की कमी (Vitamin D Deficiency)
- शरीर में विटामिन डी की कमी से कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है, जिससे PTH का स्तर बढ़ सकता है।
किडनी रोग (Chronic Kidney Disease)
- किडनी कैल्शियम और फॉस्फोरस के संतुलन को प्रभावित कर सकती है, जिससे पैराथायराइड ग्रंथियां अति सक्रिय हो जाती हैं।
अनुवांशिक कारण (Genetic Factors)
- कुछ अनुवांशिक विकारों के कारण यह समस्या हो सकती है।
हाइपरपैराथायरायडिज्म के लक्षण (Symptoms of Hyperparathyroidism)
⚠ हड्डियों में कमजोरी और दर्द
⚠ अत्यधिक पेशाब आना और डिहाइड्रेशन
⚠ थकान और कमजोरी महसूस होना
⚠ पाचन तंत्र की समस्याएं, जैसे कब्ज और भूख में कमी
⚠ मानसिक भ्रम और अवसाद
⚠ मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन
⚠ उच्च रक्तचाप और अनियमित हृदय गति
हाइपरपैराथायरायडिज्म का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Hyperparathyroidism)
अश्वगंधा (Ashwagandha)
- यह हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने में सहायक होती है।
गिलोय (Giloy)
- गिलोय कैल्शियम के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।
त्रिफला (Triphala)
- त्रिफला पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक होता है।
तुलसी (Tulsi)
- तुलसी शरीर में सूजन को कम करती है और हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में मदद करती है।
हल्दी (Turmeric)
- हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
दूध और घी (Milk and Ghee)
- ये कैल्शियम का प्राकृतिक स्रोत होते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
हाइपरपैराथायरायडिज्म से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Hyperparathyroidism)
⚠ कैल्शियम और विटामिन डी युक्त आहार लें, जैसे दूध, दही, तिल और हरी सब्जियां।
⚠ अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड और कैफीन के सेवन से बचें।
⚠ नियमित रूप से योग, ध्यान और हल्का व्यायाम करें।
⚠ शरीर में खनिजों का संतुलन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का सेवन करें।
⚠ नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं और कैल्शियम स्तर पर नजर रखें।
निष्कर्ष (Conclusion)
हाइपरपैराथायरायडिज्म शरीर में कैल्शियम असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे हड्डियों, किडनी और तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ सकता है। आयुर्वेदिक उपचार, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना आवश्यक है।

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