गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचारगैस्ट्रोएंटेराइटिस पेट तथा आंतों की सूजन से जुड़ा एक संक्रमणात्मक रोग है, जो अक्सर दूषित भोजन या पानी, वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी संक्रमण के कारण होता है। यह स्थिति दस्त, उल्टी और पेट में दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न करती है और निर्जलीकरण का खतरा बढ़ा सकती है।गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कारण (Causes of Gastroenteritis)⚠ वायरल संक्रमण: - रोटावायरस, नोरावायरस तथा अन्य वायरल संक्रमण पेट तथा आंतों में सूजन पैदा करते हैं।⚠ बैक्टीरियल संक्रमण: - सल्मोनेला, ई. कोलाई तथा अन्य बैक्टीरिया दूषित भोजन या पानी से संक्रमण का कारण बनते हैं।⚠ परजीवी संक्रमण: - कुछ परजीवी भी पाचन तंत्र में संक्रमण फैलाते हैं।⚠ दूषित भोजन एवं पानी: - अस्वच्छता तथा सुरक्षित भोजन न होने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण (Symptoms of Gastroenteritis)⚠ दस्त (Diarrhea): - बार-बार दस्त आना, जिससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है।⚠ उल्टी तथा मतली (Vomiting and Nausea): - उल्टी और जी मिचलाना पाचन तंत्र में समस्या का संकेत हैं।⚠ पेट में दर्द तथा ऐंठन (Abdominal Pain and Cramps): - पेट में दर्द और ऐंठन से व्यक्ति असहज महसूस करता है।⚠ बुखार (Fever): - संक्रमण के कारण हल्का या तेज बुखार हो सकता है।⚠ निर्जलीकरण (Dehydration): - लगातार दस्त एवं उल्टी से शरीर में पानी की कमी हो जाती है।गैस्ट्रोएंटेराइटिस का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment for Gastroenteritis)⚠ त्रिफला (Triphala): - पाचन तंत्र को साफ तथा मजबूत रखने में सहायक होती है।⚠ आंवला (Amla): - विटामिन सी एवं एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है।⚠ अदरक (Ginger): - पाचन क्रिया में सुधार तथा सूजन कम करने में सहायक होती है।⚠ हल्दी (Turmeric): - हल्दी के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन तथा जलन को नियंत्रित करते हैं।⚠ पंचकर्म (Panchakarma): - नियमित पंचकर्म से शरीर से विषाक्त पदार्थों का निवारण तथा पाचन तंत्र की सफाई संभव होती है।गैस्ट्रोएंटेराइटिस से बचाव के उपाय (Prevention Tips for Gastroenteritis)⚠ साफ एवं स्वच्छ भोजन तथा पानी का सेवन करें। ⚠ हाथों की सफाई का विशेष ध्यान रखें। ⚠ अस्वच्छ भोजन से बचें तथा खाने से पहले सही तरीके से धोएं। ⚠ संतुलित एवं फाइबर युक्त आहार अपनाएं, जिसमें ताजे फल, सब्जियां एवं सम्पूर्ण अनाज शामिल हों। ⚠ पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे। ⚠ तनाव कम करने हेतु योग, ध्यान एवं प्राणायाम का अभ्यास करें।निष्कर्ष (Conclusion)गैस्ट्रोएंटेराइटिस एक संक्रमणजनित पाचन विकार है, जिसमें पेट तथा आंतों की सूजन से दस्त, उल्टी और पेट दर्द जैसे लक्षण होते हैं। उचित आयुर्वेदिक उपचार, संतुलित आहार तथा स्वच्छता के उपाय अपनाकर इस स्थिति का प्रबंधन किया जा सकता है। यदि लक्षण बने रहें या निर्जलीकरण के संकेत दिखें, तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है।