ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचारग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस एक किडनी विकार है जिसमें किडनी के ग्लोमेरुली में सूजन हो जाती है जिससे मूत्र में खून और प्रोटीन का रिसाव हो सकता है। इस लेख में हम ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के मुख्य कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में संक्षेप में जानेंगे।ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के कारण⚠ इम्यून प्रतिक्रिया - शरीर की इम्यून प्रणाली यदि गलती से किडनी के ग्लोमेरुली पर हमला करती है तो सूजन हो सकती है।⚠ संक्रमण - बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के पश्चात किडनी में सूजन और क्षति हो सकती है।⚠ आटोइम्यून बीमारियाँ - ल्यूपस तथा अन्य आटोइम्यून रोग ग्लोमेरुलर सूजन का कारण बन सकते हैं।⚠ परिवारिक इतिहास - यदि परिवार में किडनी रोग का इतिहास हो तो जोखिम बढ़ जाता है।ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के लक्षण⚠ मूत्र में खून - मूत्र में गुलाबी या लाल रंग का बदलाव देखा जा सकता है।⚠ मूत्र में प्रोटीन की अधिकता - झागदार मूत्र प्रोटीन रिसाव का संकेत हो सकता है।⚠ शरीर में सूजन - पैरों, चेहरे या पेट में असामान्य सूजन देखी जा सकती है।⚠ उच्च रक्तचाप - रक्तचाप में वृद्धि होने के कारण अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।⚠ थकान और कमजोरी - ऊर्जा की कमी और सामान्य कमजोरी महसूस हो सकती है।ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस का आयुर्वेदिक उपचार⚠ त्रिफला - पाचन सुधारने और शरीर से विषहरण में सहायक माना जाता है।⚠ नीम - नीम में प्राकृतिक एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन कम करने में मदद करते हैं।⚠ हरिद्रा - हरिद्रा के सेवन से किडनी में सूजन पर नियंत्रण पाया जा सकता है।⚠ अश्वगंधा - प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखने और तनाव कम करने में उपयोगी होती है।⚠ योग और ध्यान - नियमित योग तथा ध्यान से मानसिक तनाव घटाने और शरीर के संतुलन में सुधार लाया जा सकता है।रोकथाम के उपाय⚠ नियमित चिकित्सकीय जांच कराना। ⚠ स्वस्थ आहार तथा पर्याप्त पानी का सेवन। ⚠ तनाव मुक्त जीवन जीने हेतु योग और ध्यान अपनाएं। ⚠ स्वच्छता और संक्रमण से बचाव के उपायों का पालन करें।निष्कर्षग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस एक गंभीर किडनी विकार है जिसे सही समय पर पहचान तथा आयुर्वेदिक उपचार एवं स्वस्थ जीवनशैली के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। लक्षणों में किसी भी प्रकार का बदलाव देखने पर विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें।
