एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (Endometrial Hyperplasia) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचारएंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया वह स्थिति है जिसमें गर्भाशय की भीतरी परत (एंडोमेट्रियम) असामान्य रूप से मोटी हो जाती है। यह स्थिति अक्सर हार्मोनल असंतुलन, विशेषकर अत्यधिक एस्ट्रोजन के कारण होती है, जिससे असामान्य मासिक धर्म रक्तस्राव और अन्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया के कारण⚠ हार्मोनल असंतुलन - अत्यधिक एस्ट्रोजन का स्तर, खासकर जब पर्याप्त प्रोजेस्टेरोन नहीं होता, एंडोमेट्रियम को मोटा कर देता है।⚠ मोटापा और चर्बी का जमा होना - अतिरिक्त वसा के कारण एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे एंडोमेट्रियल मोटापा संभव हो जाता है।⚠ अनियमित मासिक धर्म चक्र - ओव्यूलेशन में बाधा के कारण हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।⚠ पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) - हार्मोनल असंतुलन के साथ PCOS का होना इस स्थिति का जोखिम बढ़ा सकता है।एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया के लक्षण⚠ असामान्य मासिक धर्म रक्तस्राव - चक्र से पहले या बाद में अनियमित और अधिक रक्तस्राव हो सकता है।⚠ गर्भाशय में दर्द या भारीपन - गर्भाशय के क्षेत्र में असहजता और भारीपन महसूस हो सकता है।⚠ दर्दनाक मासिक धर्म - सामान्य से अधिक दर्द का अनुभव किया जा सकता है।⚠ पेट में सूजन या असहजता - हल्की सूजन और पेट में असहजता के लक्षण देखे जा सकते हैं।एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया का आयुर्वेदिक उपचार⚠ शतावरी - शतावरी हार्मोन संतुलन में सुधार लाने तथा महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक मानी जाती है।⚠ अश्वगंधा - अश्वगंधा मानसिक तनाव कम करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।⚠ त्रिफला - त्रिफला पाचन में सुधार तथा शरीर से विषहरण में सहायक होती है।⚠ नीम - नीम के शुद्धिकरण गुण शरीर के विषाक्त पदार्थों को कम करने में मदद करते हैं।⚠ योग और ध्यान - नियमित योग और ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त हो तथा हार्मोनल संतुलन में सुधार आता है।रोकथाम के उपाय⚠ संतुलित आहार अपनाएं जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल हों। ⚠ नियमित व्यायाम तथा योग करें और वजन नियंत्रित रखें। ⚠ तनाव प्रबंधन के उपाय अपनाएं तथा पर्याप्त नींद लें। ⚠ नियमित चिकित्सकीय जांच कराते रहें ताकि स्थिति पर निगरानी बनी रहे।निष्कर्षएंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया एक गंभीर स्थिति है जिसे सही देखभाल, आयुर्वेदिक उपचार एवं स्वस्थ जीवनशैली के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण बने रहें या बढ़ जाएं, तो विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें।