एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचारएट्रियल फिब्रिलेशन एक हृदय विकार है जिसमें दिल के ऊपरी कक्षों में अनियमित और तेज धड़कन होती है। इससे रक्त प्रवाह में रुकावट आ सकती है और हृदय की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस लेख में हम एट्रियल फिब्रिलेशन के संभावित कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में संक्षेप में जानेंगे।एट्रियल फिब्रिलेशन के कारण⚠ उच्च रक्तचाप और हृदय रोग - उच्च रक्तचाप तथा अन्य हृदय रोग दिल की धड़कन में अनियमितता ला सकते हैं।⚠ दिल की संरचनात्मक असमानताएं - दिल की वाल्व्स या अन्य संरचनात्मक समस्याएं इस विकार का कारण बन सकती हैं।⚠ हार्मोनल असंतुलन- हार्मोनल बदलाव भी हृदय की सामान्य क्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।⚠ [b]मानसिक तनाव और चिंता - तनाव और चिंता हृदय की धड़कन में असामान्यता पैदा कर सकते हैं।एट्रियल फिब्रिलेशन के लक्षण⚠ अनियमित या तेज धड़कन - दिल की धड़कन में अनियमितता तथा अचानक तेज धड़कन महसूस होती है।⚠ छाती में दबाव या दर्द - छाती में भारीपन या हल्का दर्द अनुभव हो सकता है।⚠ थकान और कमजोरी - शरीर में ऊर्जा की कमी तथा सामान्य थकान महसूस होती है।⚠ सांस लेने में कठिनाई- पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।⚠ [b]चक्कर आना- रक्त प्रवाह में कमी के कारण चक्कर आने की समस्या हो सकती है।[b]एट्रियल फिब्रिलेशन का आयुर्वेदिक उपचार⚠ अश्वगंधा - अश्वगंधा तनाव कम करने तथा हृदय स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होती है।⚠ ब्राह्मी - ब्राह्मी मानसिक शांति प्रदान करती है तथा हृदय के कार्य में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।⚠ त्रिफला - त्रिफला शरीर से विषहरण में सहायक होती है और बेहतर रक्त प्रवाह सुनिश्चित करती है।⚠ नीम - नीम के गुण शरीर को शुद्ध कर हृदय पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करते हैं।⚠ योग और ध्यान - नियमित योग तथा ध्यान से मानसिक तनाव घटता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।रोकथाम के उपाय⚠ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अपनाएं। ⚠ तनाव कम करने हेतु योग एवं ध्यान करें। ⚠ पर्याप्त नींद लें तथा हाइड्रेटेड रहें। ⚠ समय-समय पर चिकित्सकीय जांच कराएं।निष्कर्षएट्रियल फिब्रिलेशन एक गंभीर हृदय विकार है जिसे सही देखभाल, आयुर्वेदिक उपचार एवं स्वस्थ जीवनशैली से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षणों में कोई बदलाव या बढ़ोतरी महसूस हो तो विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।