टिनिटस (Tinnitus) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचारटिनिटस एक ऐसी स्थिति है जिसमें कानों में बिना किसी बाहरी स्रोत के घंटी बजने जैसा, बजने, झनझनाहट या शोर सुनाई देने लगता है। यह स्थिति अस्थायी या दीर्घकालिक हो सकती है और विभिन्न कारणों से उत्पन्न होती है।कारण⚠ लाउड नॉइज़ का लगातार संपर्क - तेज आवाज़ वाले संगीत, मशीनरी या शोरगुल के संपर्क में आने से कानों में क्षति हो सकती है।⚠ आयु संबंधी परिवर्तन- उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता में कमी और टिनिटस की संभावना बढ़ जाती है।⚠ [b]कान का संक्रमण एवं ईयरवैक्स की समस्या- कान के संक्रमण या अत्यधिक ईयरवैक्स जमा होने से भी टिनिटस हो सकता है।⚠ [b]दवाओं के दुष्प्रभाव- कुछ दवाओं के सेवन से कानों में शोर सुनाई देने लग सकता है।⚠ [b]मानसिक तनाव और उच्च रक्तचाप- तनाव एवं हाइपरटेंशन भी टिनिटस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।[b]लक्षण⚠ कान में लगातार या अंतराल पर शोर- घंटी, बजना या झनझनाहट जैसी आवाज़ें सुनाई देना।⚠ [b]ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई- लगातार शोर से ध्यान भटक सकता है।⚠ [b]नींद में बाधा- रात में सोने में कठिनाई और नींद में व्यवधान।⚠ [b]मनोवैज्ञानिक तनाव- लगातार शोर के कारण चिंता, बेचैनी और थकान का अनुभव।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ तुलसी- तुलसी के पत्तों का काढ़ा कानों की सूजन कम करने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होता है।⚠ [b]अद्रक- अद्रक की चाय के प्राकृतिक एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कानों की जलन में राहत प्रदान करते हैं।⚠ [b]हल्दी- हल्दी के गुण सूजन और संक्रमण पर नियंत्रण लाने में मददगार होते हैं; इसे गर्म दूध या पानी में मिलाकर पिएं।⚠ [b]ब्राह्मी एवं अश्वगंधा- ये हृदय एवं तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने, मानसिक तनाव कम करने एवं सुनने की क्षमता में सुधार लाने में सहायक हैं।⚠ [b]नीम- नीम के अर्क एवं पत्तों का सेवन विषहरण में मदद करता है तथा कानों के स्वास्थ्य में सुधार लाता है।⚠ [b]योग एवं ध्यान- नियमित योग, प्राणायाम एवं ध्यान से मानसिक तनाव में कमी आती है और शरीर में समग्र संतुलन बना रहता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ तेज ध्वनि वाले वातावरण से बचें तथा हेडफोन का उपयोग सीमित करें। ⚠ कानों की नियमित सफाई एवं स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ⚠ तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाएं एवं संतुलित आहार लें। ⚠ पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रखें।निष्कर्षटिनिटस एक सामान्य लेकिन असुविधाजनक स्थिति है जिसे उचित देखभाल, आयुर्वेदिक उपचार एवं स्वस्थ जीवनशैली के संयोजन से प्रबंधित किया जा सकता है। यदि टिनिटस के लक्षण लंबे समय तक बने रहें या तीव्र हो जाएं, तो विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।