रेटिनल डिटैचमेंट (Retinal Detachment) - कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
कारण
ट्रॉमैटिक चोट- अचानक हुई चोट या दुर्घटना से रेटिना के अपने स्थान से अलग होने का खतरा बढ़ जाता है।
⚠ [b]अत्यधिक मायोपिया- अत्यधिक नेत्र दोष से रेटिना पतला हो जाता है, जिससे वह आसानी से प्रभावित हो सकता है।
⚠ [b]आयु संबंधी परिवर्तन- उम्र के साथ रेटिना में कमजोर पड़ावट एवं संरचनात्मक बदलाव होने से अलग होने का जोखिम बढ़ता है।
⚠ [b]डायबिटिक रेटिनोपैथी- मधुमेह के कारण आंखों में रक्त वाहिकाओं में बदलाव से रेटिना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
⚠ [b]पूर्व नेत्र सर्जरी या संक्रमण- पिछले ऑपरेशन या आंख के संक्रमण से भी रेटिना के नुकसान का खतरा रहता है।
[b]लक्षण

अचानक दृष्टि में कमी या अंधापन- रेटिना अलग होते ही देखने में तेजी से कमी या अंधापन महसूस हो सकता है।
⚠ [b]फ्लैशेज या तेज चमक- आंख से अचानक चमक के झटके या फ्लैशेज देखने को मिलते हैं।
⚠ [b]फ्लोटर्स- आंख के सामने तैरते हुए धब्बे या कण दिखाई देते हैं।
⚠ [b]दृष्टि में धुंधलापन- देखने में अस्पष्टता और विकृत छवियाँ दिखाई देती हैं।
⚠ [b]परदे जैसा आभास- ऐसा महसूस होता है जैसे आंख पर कोई परदा या पर्दा नीचे की ओर गिर रहा हो।
[b]आयुर्वेदिक उपचार

अश्वगंधा- शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने एवं मानसिक तनाव कम करने में सहायक।
⚠ [b]ब्राह्मी- तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने तथा मानसिक शांति प्रदान करने में उपयोगी।
⚠ [b]नीम- विषहरण एवं सूजन कम करने के गुणों से आंखों के स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
⚠ [b]त्रिफला- पाचन सुधार तथा शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में सहायक, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
⚠ [b]योग एवं ध्यान- नियमित योग, प्राणायाम एवं ध्यान से मानसिक तनाव में कमी एवं रक्त संचार में सुधार संभव होता है।
[b]रोकथाम के उपाय

नियमित नेत्र जांच- विशेषकर अधिक मायोपिया या मधुमेह से ग्रसित व्यक्तियों को नियमित नेत्र परीक्षण करवाएं।
⚠ [b]आँखों की सुरक्षा- खेल-कूद या भारी काम करते समय आंखों की सुरक्षा का ध्यान रखें।
⚠ [b]संतुलित आहार- विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार से आंखों के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।
⚠ [b]तनाव प्रबंधन- नियमित योग, ध्यान एवं पर्याप्त नींद से समग्र स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
[b]निष्कर्ष

रेटिनल डिटैचमेंट एक गंभीर नेत्र रोग है जिसे समय पर निदान एवं उचित चिकित्सा उपचार से ही प्रबंधित किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार सहायक हो सकते हैं, परंतु यह किसी भी स्थिति में तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप का विकल्प नहीं हैं। यदि रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।

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