स्किस्टोसोमायसिस (Schistosomiasis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय स्किस्टोसोमायसिस एक गंभीर परजीवी संक्रमण है जो दूषित मीठे पानी में पाए जाने वाले स्किस्टोसोमा नामक परजीवी के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ साफ पानी और स्वच्छता की कमी होती है। संक्रमण से शरीर के आंतरिक अंग जैसे यकृत, गुर्दे, आंतें एवं अन्य प्रणालियाँ प्रभावित हो सकती हैं तथा दीर्घकालिक जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।कारण ⚠ दूषित मीठा पानी का सेवनअसुरक्षित जल स्रोत से पानी पीने पर स्किस्टोसोमा के लार्वा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और संक्रमण की शुरुआत करते हैं। ⚠ [b]दूषित खाद्य पदार्थखाद्य पदार्थों में भी दूषित पानी के कणों के कारण परजीवी पहुंच सकते हैं। ⚠ [b]अस्वच्छताघर तथा आसपास के क्षेत्रों की अस्वच्छता संक्रमण के खतरे को बढ़ाती है। ⚠ [b]उद्योगिक एवं कृषि गतिविधियाँऐसे क्षेत्रों में जहाँ किसान दूषित पानी के संपर्क में रहते हैं, स्किस्टोसोमायसिस का जोखिम अधिक होता है।[b]लक्षण ⚠ अचानक बुखार एवं ठंड लगनाप्रारंभिक दिनों में हल्का बुखार, कपकों का लगना एवं शरीर में ठंडक का अनुभव हो सकता है। ⚠ [b]पेट में दर्द एवं ऐंठनआंतों में सूजन के कारण तेज पेट दर्द, ऐंठन एवं अनियमितता दिखाई दे सकती है। ⚠ [b]खांसी एवं सांस लेने में कठिनाईफेफड़ों पर भी प्रभाव पड़ने से खांसी एवं सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ⚠ [b]खून का बहनाकुछ मामलों में पेशाब या मल में खून आ सकता है। ⚠ [b]दीर्घकालिक जटिलताएँयदि उपचार न किया जाए तो यकृत में फाइब्रोसिस, गुर्दों की कार्यक्षमता में गिरावट एवं अन्य आंतरिक समस्याएँ विकसित हो सकती हैं।[b]आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेद में स्किस्टोसोमायसिस के उपचार का मुख्य उद्देश्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, पाचन क्रिया में सुधार लाना एवं विषाक्त पदार्थों को निकालना माना जाता है। कुछ सहायक उपाय निम्नलिखित हैं: ⚠ त्रिफलात्रिफला पाचन शक्ति को बढ़ाकर शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में सहायक होती है। ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण है। ⚠ [b]नीमनीम के पत्तों एवं अर्क में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। ⚠ [b]हल्दीहल्दी के एंटीइंफ्लेमेटरी एवं एंटीऑक्सीडेंट गुण सूजन को नियंत्रित करने एवं ऊतकों की मरम्मत में सहायक होते हैं। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक संतुलन एवं तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, प्राणायाम एवं ध्यान से श्वास क्षमता में सुधार होता है एवं मानसिक तनाव में कमी आती है, जो समग्र उपचार प्रक्रिया में लाभकारी होता है।[b]रोकथाम के उपाय ⚠ सुरक्षित जल का उपयोगकेवल उबला हुआ या स्वच्छ जल पीएं तथा दूषित जल स्रोतों से बचें। ⚠ [b]व्यक्तिगत स्वच्छताखाने-पीने से पहले हाथ धोएं एवं स्वच्छता के नियमों का पालन करें। ⚠ [b]पर्यावरण की सफाईघर एवं आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखें ताकि दूषित जल एवं मिट्टी के संपर्क से बचा जा सके। ⚠ [b]सामुदायिक जागरूकतास्वच्छता, सुरक्षित जल एवं स्वच्छता के महत्व के बारे में जानकारी फैलाएं, जिससे समुदाय में जागरूकता बढ़े। ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचउच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नियमित जांच करानी चाहिए ताकि संक्रमण का प्रारंभिक पता चल सके।[b]निष्कर्ष स्किस्टोसोमायसिस एक गंभीर परजीवी संक्रमण है जो दूषित मीठे पानी, अस्वच्छता एवं पर्यावरणीय कारकों के कारण फैलता है। टीकाकरण एवं आधुनिक चिकित्सा उपचार के साथ-साथ आयुर्वेदिक उपचार प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने एवं पाचन क्रिया में सुधार लाने में सहायक होते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं स्वच्छता के उपायों का पालन करके हम इस रोग के फैलाव को रोक सकते हैं। यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन या वृद्धि दिखाई दे, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।