अरसेनिकोसिस (Arsenicosis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय अरसेनिकोसिस एक दीर्घकालिक विषाक्तता रोग है जो आर्सेनिक के लगातार संपर्क से उत्पन्न होता है। यह रोग मुख्य रूप से दूषित जल के सेवन से फैलता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ भूजल में आर्सेनिक का स्तर अधिक होता है। यह रोग त्वचा, तंत्रिका तंत्र, हृदय एवं अन्य अंगों पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है और समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है।कारण ⚠ दूषित जल का सेवनगहरे भूजल में आर्सेनिक की उच्च सांद्रता के कारण संक्रमित पानी पीने से शरीर में आर्सेनिक जमा हो जाता है। ⚠ [b]जैविक एवं खनिज स्रोतप्राकृतिक भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण कुछ क्षेत्रों में मिट्टी एवं जल में आर्सेनिक का मिश्रण हो जाता है। ⚠ [b]औद्योगिक प्रदूषणऔद्योगिक अपशिष्ट एवं कीटनाशकों में आर्सेनिक के अंश भी दूषित जल स्रोत में मिल सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। ⚠ [b]अनियंत्रित कृषि उपयोगकृषि में प्रयोग होने वाले रसायनिक पदार्थों के कारण भी आर्सेनिक की मात्रा में वृद्धि देखी जा सकती है।[b]लक्षण ⚠ [b]त्वचा में बदलावत्वचा पर असामान्य दाग-धब्बे, गहरे भूरे या नीले रंग के पैच एवं अत्यधिक मोटापा (हाइपरकेरोसिस) खासकर हाथों एवं पैरों पर। ⚠ [b]गठिया एवं सूजनजोड़ों में सूजन, दर्द एवं अकड़न की समस्या। ⚠ [b]तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएँआंशिक या पूर्ण संवेदी हानि, हाथ-पैर में झुनझुनी एवं अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण। ⚠ [b]अंतःस्रावी अंगों पर प्रभावहृदय, यकृत एवं गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी एवं दीर्घकालिक जटिलताएँ उत्पन्न होने की संभावना।[b]आयुर्वेदिक उपचार अरसेनिकोसिस के आयुर्वेदिक उपचार का मुख्य उद्देश्य शरीर की विषहरण क्षमता को बढ़ाना, प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करना एवं सूजन एवं संक्रमण को नियंत्रित करना है। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला पाचन शक्ति को सुधारने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में सहायक होती है। ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शरीर की ऊर्जा बढ़ाने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ⚠ [b]नीमनीम के पत्तों एवं अर्क में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण एवं सूजन को नियंत्रित करने में सहायक हैं। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक संतुलन एवं तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करती है, जिससे दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से लड़ने में सहारा मिलता है। ⚠ [b]हल्दीहल्दी के एंटीइंफ्लेमेटरी एवं एंटीऑक्सीडेंट गुण सूजन को कम करने एवं ऊतकों की मरम्मत में योगदान देते हैं। ⚠ [b]योग एवं ध्याननियमित योग, प्राणायाम एवं ध्यान से मानसिक तनाव कम होता है, रक्त संचार बेहतर होता है एवं समग्र स्वास्थ्य में संतुलन बना रहता है।[b]रोकथाम के उपाय ⚠ [b]सुरक्षित जल का उपयोगकेवल उबला हुआ या प्रमाणित स्वच्छ जल पीएं ताकि आर्सेनिक के संपर्क से बचा जा सके। ⚠ [b]पर्यावरणीय निगरानीजल स्रोतों की नियमित जांच एवं निगरानी से आर्सेनिक की मात्रा पर नियंत्रण रखा जा सकता है। ⚠ [b]सामुदायिक जागरूकताआयुर्वेदिक और आधुनिक चिकित्सा के संयोजन से सुरक्षित जल एवं स्वच्छता के महत्व के बारे में समुदाय में जागरूकता बढ़ाएं। ⚠ [b]संतुलित आहार एवं नियमित व्यायामपोषण युक्त आहार एवं नियमित व्यायाम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होते हैं। ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचजो लोग उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें नियमित स्वास्थ्य जांच एवं सलाह लेना आवश्यक है।[b]निष्कर्षअरसेनिकोसिस एक गंभीर दीर्घकालिक विषाक्तता रोग है जो दूषित जल एवं पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण होता है। सुरक्षित जल का उपयोग, नियमित चिकित्सकीय निगरानी एवं स्वस्थ जीवनशैली के संयोजन से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में सहायक होते हैं। यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन या वृद्धि दिखाई दे, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।