पल्मोनरी हाइपरटेंशन (Pulmonary Hypertension) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की धमनियों में रक्तचाप असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इस स्थिति में फेफड़ों की रक्तवाहिनियाँ सिकुड़ जाती हैं या पतली हो जाती हैं जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है। इससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है एवं समय के साथ हृदय एवं फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी आती है।कारण पल्मोनरी हाइपरटेंशन के कई कारण हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं: ⚠ [b]आनुवंशिक कारणकुछ मामलों में पारिवारिक प्रवृत्ति के कारण यह स्थिति विकसित होती है। ⚠ [b]हृदय संबंधी रोगमाइट्रल वॉल्व की खराबी, दिल की संरचनात्मक समस्याएं एवं अन्य हृदय रोगों से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ⚠ [b]फेफड़ों के रोगक्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, इंटरस्टिशियल फेफड़ों की बीमारियां एवं अन्य श्वसन रोग भी इस स्थिति के कारण बनते हैं। ⚠ [b]रक्त थक्केफेफड़ों में रक्त के थक्कों के जमने से भी रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है। ⚠ [b]अनजान कारणकई बार बिना स्पष्ट कारण के भी पल्मोनरी हाइपरटेंशन हो जाता है जिसे आइडियोपैथिक पल्मोनरी हाइपरटेंशन कहा जाता है।[b]लक्षणपल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इनमें शामिल हैं: ⚠ [b]सांस लेने में कठिनाईशारीरिक गतिविधियों के दौरान तथा कभी-कभार आराम की स्थिति में भी सांस लेने में दिक्कत। ⚠ [b]थकान एवं कमजोरीरोगी को सामान्य कार्यों में भी अत्यधिक थकान एवं ऊर्जा की कमी महसूस होती है। ⚠ [b]सीने में दर्दछाती में दबाव एवं दर्द का अनुभव किया जा सकता है। ⚠ [b]हृदय गति में बढ़ोतरीहृदय की धड़कन तेज और अनियमित हो सकती है। ⚠ [b]सिरदर्द एवं चक्करकुछ रोगियों में सिरदर्द एवं चक्कर आने की शिकायत भी होती है।[b]आयुर्वेदिक उपचारआयुर्वेद में पल्मोनरी हाइपरटेंशन के उपचार में शरीर के संतुलन, रक्त प्रवाह में सुधार एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया जाता है। निम्नलिखित उपाय सहायक माने जाते हैं: ⚠ [b]अश्वगंधाशरीर की ऊर्जा बढ़ाने एवं तनाव को कम करने में सहायक होती है। ⚠ [b]हल्दीहल्दी के प्राकृतिक सूजनरोधी गुण रक्तवाहिनियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। ⚠ [b]तुलसीतुलसी का काढ़ा रक्त प्रवाह में सुधार एवं हृदय स्वास्थ्य में सहायक होता है। ⚠ [b]अदरक एवं शहदअदरक एवं शहद का मिश्रण सूजन कम करने एवं श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने में लाभदायक है। ⚠ [b]त्रिफला एवं नीमत्रिफला पाचन क्रिया सुधारने में सहायक होती है तथा नीम में प्राकृतिक गुण रक्त को शुद्ध रखने में मदद करते हैं। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम हृदय एवं फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार लाने में उपयोगी होते हैं।[b]रोकथाम के उपायपल्मोनरी हाइपरटेंशन के प्रभाव को कम करने एवं रोकथाम हेतु निम्नलिखित सावधानियाँ अपनाई जा सकती हैं: ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचसमय-समय पर स्वास्थ्य जांच से रोग का प्रारंभिक पता लगाया जा सकता है। ⚠ [b]स्वस्थ आहार एवं नियमित व्यायामपोषक तत्वों से भरपूर आहार एवं नियमित व्यायाम हृदय एवं फेफड़ों की सेहत बनाए रखने में सहायक होते हैं। ⚠ [b]धूम्रपान एवं शराब से बचावइन आदतों से दूर रहना हृदय एवं फेफड़ों के लिए लाभकारी है। ⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं अन्य शारीरिक गतिविधियों से तनाव को नियंत्रित करना आवश्यक है।[b]निष्कर्षपल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर स्थिति है जिसमें फेफड़ों की धमनियों में बढ़ा हुआ रक्तचाप हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है। उचित चिकित्सकीय देखरेख एवं आयुर्वेदिक उपचार जैसे अश्वगंधा, हल्दी, तुलसी, अदरक एवं त्रिफला के संयोजन तथा नियमित योग एवं प्राणायाम से रोग के लक्षणों में सुधार संभव है। लेख सारांश के रूप में यह कह सकते हैं कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन के प्रबंधन हेतु नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ जीवनशैली एवं संतुलित आहार के साथ आयुर्वेदिक उपायों का संयोजन अत्यंत आवश्यक है। यदि लक्षण बढ़ते हों तो विशेषज्ञ से शीघ्र परामर्श लेना अनिवार्य है।