रिकरंट रेस्पिरेटरी पापिल्लोमैटोसिस (Recurrent Respiratory Papillomatosis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय रिकरंट रेस्पिरेटरी पापिल्लोमैटोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें श्वसन मार्ग पर बार-बार पापिलोमा नामक सौम्य ऊतक वृद्धि होती है। यह वृद्धि मुख्य रूप से लैरिंक्स, ट्रेकिया एवं ब्रोंकियोल्स में उत्पन्न होती है। रोग का प्रमुख कारण मानव पापिल्लोमा वायरस संक्रमण माना जाता है जिससे फेफड़ों एवं वायु मार्ग में असामान्य ऊतक का संचय होता है।कारण मुख्य कारण मानव पापिल्लोमा वायरस संक्रमण है। ⚠ [b]संक्रमण द्वारा फैलाववायरस संक्रमित बूंदों एवं शारीरिक संपर्क से फैलता है। ⚠ [b]प्रतिरक्षा प्रणाली की असंतुलनकुछ मामलों में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली रोग के प्रकोप में योगदान देती है।[b]लक्षण⚠ [b]आवाज में बदलाव एवं खराशपापिलोमा की वृद्धि से आवाज में उथल-पुथल हो सकती है। ⚠ [b]खांसी एवं सांस लेने में कठिनाईश्वसन मार्ग में अवरोध से सांस लेने में दिक्कत एवं लगातार खांसी होती है। ⚠ [b]गले में झुनझुनी एवं दर्दस्थानीय वृद्धि से गले में असहजता एवं दर्द का अनुभव हो सकता है।[b]आयुर्वेदिक उपचारआयुर्वेद में श्वसन तंत्र की सफाई, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने एवं सूजन कम करने पर जोर दिया जाता है। ⚠ [b]अश्वगंधाशरीर की ऊर्जा बढ़ाने एवं प्रतिरक्षा को सुदृढ़ करने में सहायक। ⚠ [b]हल्दीप्राकृतिक सूजनरोधी गुण के कारण सूजन को कम करने में मददगार। ⚠ [b]तुलसीश्वसन मार्ग की सफाई एवं संक्रमण से लड़ने में लाभकारी। ⚠ [b]अदरक एवं शहदगले की खराश में आराम एवं खांसी में राहत प्रदान करते हैं। ⚠ [b]त्रिफला एवं नीमविषाक्त पदार्थों के निष्कासन एवं प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामअनुलोम-विलोम, कपालभाति एवं अन्य श्वसन प्राणायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखेंनियमित हाथ धोएं एवं संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें। ⚠ [b]मास्क एवं सुरक्षात्मक उपायों का प्रयोग करेंभीड़ वाले स्थानों में मास्क पहनना लाभकारी होता है। ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचशुरुआती लक्षणों पर समय पर चिकित्सकीय सलाह एवं जांच जरूरी है। ⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैली एवं संतुलित आहारपोषक तत्वों से भरपूर आहार एवं नियमित व्यायाम से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।[b]निष्कर्षरिकरंट रेस्पिरेटरी पापिल्लोमैटोसिस मानव पापिल्लोमा वायरस के कारण उत्पन्न होने वाली एक बार-बार पुनरावृत्त होने वाली स्थिति है जिसमें श्वसन मार्ग पर सौम्य ऊतक वृद्धि होती है। उचित चिकित्सकीय देखरेख के साथ आयुर्वेदिक उपचार जैसे अश्वगंधा, हल्दी, तुलसी, अदरक एवं त्रिफला के संयोजन तथा नियमित योग एवं प्राणायाम से रोग के लक्षणों में सुधार संभव है। लेख सारांश के रूप में कहा जा सकता है कि व्यक्तिगत स्वच्छता, समय पर चिकित्सकीय सलाह एवं आयुर्वेदिक उपायों का समुचित संयोजन रोग के प्रबंधन हेतु अत्यंत आवश्यक है।