पल्मोनरी सारकोइडोसिस (Pulmonary Sarcoidosis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
पल्मोनरी सारकोइडोसिस एक ऐसा संक्रमणजन्य रोग है जिसमें फेफड़ों के ऊतकों में दानेदार सूजन (ग्रैन्युलोमा) का निर्माण होता है। यह रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है परन्तु अन्य अंगों में भी इसके दाने देखने को मिल सकते हैं। रोग का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ता है जिससे सांस लेने में कठिनाई, खांसी एवं थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
कारण
पल्मोनरी सारकोइडोसिस के सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सके हैं परन्तु निम्नलिखित कारणों पर विचार किया जाता है:
⚠ [b]आटोइम्यून प्रतिक्रियाशरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अपने ही ऊतकों पर हमला करने से ग्रैन्युलोमा बन सकते हैं।
⚠ [b]पर्यावरणीय ट्रिगर्सधूल, रसायनिक कण एवं अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क से रोग का प्रकोप बढ़ सकता है।
⚠ [b]आनुवांशिक प्रवृत्तिपारिवारिक इतिहास होने पर रोग के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
[b]लक्षण
सारकोइडोसिस के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और इनमें शामिल हैं:
⚠ [b]लगातार खांसीखांसी में कभी-कभी खून की भी उपस्थिति देखी जा सकती है।
⚠ [b]सांस लेने में कठिनाईविशेषकर शारीरिक प्रयास के दौरान सांस लेने में रुकावट महसूस होती है।
⚠ [b]थकान एवं कमजोरीलगातार थकान एवं शरीर में ऊर्जा की कमी अनुभव की जाती है।
⚠ [b]छाती में भारीपनफेफड़ों में सूजन के कारण छाती में दबाव एवं असहजता का अनुभव होता है।
⚠ [b]अन्य अंगों में प्रभावितताकभी-कभी आंखें, त्वचा एवं अन्य अंगों में भी दानेदार सूजन देखी जाती है।
[b]आयुर्वेदिक उपचारआयुर्वेद में इस रोग के प्रबंधन हेतु शरीर के संतुलन, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने एवं सूजन कम करने पर जोर दिया जाता है। कुछ प्रभावी उपाय निम्नलिखित हैं:
⚠ [b]अश्वगंधाशरीर की ऊर्जा बढ़ाने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने में सहायक।
⚠ [b]हल्दीप्राकृतिक सूजनरोधी गुणों के कारण सूजन को नियंत्रित करने में मददगार।
⚠ [b]तुलसीश्वसन मार्ग की सफाई एवं संक्रमण से लड़ने में लाभकारी।
⚠ [b]अदरक एवं शहदगले की खराश एवं सूखी खांसी में आराम प्रदान करने हेतु उपयुक्त।
⚠ [b]त्रिफला एवं नीमपाचन क्रिया को सुधारने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक।
⚠ [b]योग एवं प्राणायामअनुलोम-विलोम, कपालभाति एवं अन्य श्वसन प्राणायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने एवं मन को शांत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
[b]रोकथाम के उपाय
चूँकि सारकोइडोसिस के स्पष्ट कारणों में अनिश्चितता होती है, इसलिए रोकथाम हेतु निम्नलिखित सावधानियां अपनाई जा सकती हैं:
⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैलीसंतुलित आहार एवं नियमित व्यायाम से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें।
⚠ [b]पर्यावरणीय प्रदूषण से बचावधूल एवं रासायनिक कणों से दूर रहने का प्रयास करें।
⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचश्वसन संबंधी किसी भी असामान्यता पर समय रहते विशेषज्ञ से परामर्श लें।
⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं विश्राम से मानसिक तनाव को नियंत्रित रखें।
[b]निष्कर्षपल्मोनरी सारकोइडोसिस एक जटिल रोग है जिसमें फेफड़ों में दानेदार सूजन के कारण श्वसन संबंधी लक्षण उत्पन्न होते हैं। उचित चिकित्सकीय देखरेख के साथ आयुर्वेदिक उपचार, जैसे अश्वगंधा, हल्दी, तुलसी, अदरक एवं त्रिफला का संयोजन तथा नियमित योग एवं प्राणायाम से रोग के लक्षणों में सुधार संभव है। लेख सारांश के रूप में यह कह सकते हैं कि सारकोइडोसिस के प्रबंधन हेतु स्वस्थ जीवनशैली, पर्यावरणीय प्रदूषण से बचाव एवं समय पर चिकित्सकीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।

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