लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (LRTI) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक गंभीर संक्रमण है जिसमें श्वसन प्रणाली के निचले हिस्से जैसे ट्रैचेआ, ब्रोंकाई एवं फेफड़ों में सूजन एवं संक्रमण उत्पन्न होता है। यह संक्रमण वायरल, बैक्टीरियल या अन्य कारणों से हो सकता है और इससे सांस लेने में कठिनाई, खांसी एवं छाती में भारीपन जैसी समस्याएं देखी जाती हैं।कारण ⚠ वायरल संक्रमणशीतकालीन सर्दी, फ्लू एवं अन्य वायरल संक्रमण के कारण संक्रमण हो सकता है। ⚠ [b]बैक्टीरियल संक्रमणबैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न संक्रमण से फेफड़ों में जलन एवं सूजन बढ़ जाती है। ⚠ [b]गलत तरीके से भोजन या तरल का फेफड़ों में प्रवेशअस्पिरेशन से संक्रमण एवं बलगम का संचय हो सकता है। ⚠ [b]पर्यावरणीय प्रदूषण एवं धूल कणप्रदूषित वातावरण में रहने से संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। ⚠ [b]प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरीकमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों में संक्रमण तेजी से फैलता है।[b]लक्षण ⚠ [b]सांस लेने में कठिनाईशारीरिक गतिविधियों के दौरान एवं आराम की स्थिति में भी सांस लेने में दिक्कत। ⚠ [b]लगातार खांसी (सूखी या बलगम वाली)खांसी में लगातार बलगम का उत्पादन या सूखी खांसी आम लक्षण हैं। ⚠ [b]छाती में दर्द एवं भारीपनफेफड़ों में सूजन के कारण छाती में दबाव महसूस होता है। ⚠ [b]बुखार एवं ठंड लगनाहल्का या मध्यम बुखार एवं कभी-कभार ठंड लगने का अनुभव। ⚠ [b]थकान एवं कमजोरीशरीर में ऊर्जा की कमी एवं असामान्य थकान।[b]आयुर्वेदिक उपचारआयुर्वेद में श्वसन तंत्र की सफाई, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने एवं सूजन कम करने पर जोर दिया जाता है। ⚠ [b]तुलसी का काढ़ातुलसी के पत्तों का काढ़ा श्वसन मार्ग की सफाई एवं संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है। ⚠ [b]अदरक एवं शहद का मिश्रणअदरक के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में आराम एवं गले की खराश में राहत मिलती है। ⚠ [b]हल्दी दूधहल्दी दूध के नियमित सेवन से सूजन में कमी एवं प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है। ⚠ [b]अश्वगंधाशरीर की शक्ति एवं प्रतिरक्षा बढ़ाने में लाभकारी होती है। ⚠ [b]त्रिफला एवं नीम का सेवनत्रिफला पाचन क्रिया को सुधारता है जबकि नीम प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण प्रदान करता है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामअनुलोम-विलोम, कपालभाति एवं अन्य श्वसन प्राणायाम से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है एवं मन में शांति आती है।[b]रोकथाम के उपाय ⚠ [b]व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखेंनियमित हाथ धोएं एवं साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। ⚠ [b]मास्क एवं सुरक्षात्मक उपाय अपनाएंभीड़-भाड़ वाले स्थानों में मास्क पहनना एवं प्रदूषित वातावरण से दूरी बनाए रखना। ⚠ [b]स्वस्थ आहार एवं पर्याप्त विश्रामपोषक तत्वों से भरपूर आहार एवं पर्याप्त नींद से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। ⚠ [b]पर्यावरणीय प्रदूषण से बचावप्रदूषित क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें एवं स्वच्छ वायुमंडल में रहने का प्रयास करें। ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांच कराएंसमय पर जांच एवं परामर्श से संक्रमण के प्रारंभिक लक्षणों का पता लगाया जा सकता है।[b]निष्कर्षलोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक गंभीर संक्रमण है जिसमें फेफड़ों के निचले हिस्से में सूजन एवं संक्रमण के कारण सांस लेने में कठिनाई, खांसी एवं छाती में भारीपन जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। उचित चिकित्सकीय देखरेख, स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार एवं आयुर्वेदिक उपचार जैसे तुलसी, अदरक, हल्दी एवं अश्वगंधा के संयोजन तथा नियमित योग एवं प्राणायाम से रोग के लक्षणों में सुधार संभव है। लेख सारांश के रूप में यह कह सकते हैं कि संक्रमण के प्रबंधन हेतु व्यक्तिगत स्वच्छता, पर्यावरणीय प्रदूषण से बचाव एवं समय पर चिकित्सकीय एवं आयुर्वेदिक उपायों का समुचित संयोजन अत्यंत आवश्यक है। यदि लक्षण बढ़ें, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अनिवार्य है।