रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी (Retinopathy of Prematurity) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी एक गंभीर नेत्र विकार है जो समय से पहले जन्मे शिशुओं में देखा जाता है। इसमें रेटिना में असामान्य रक्त वाहिनियाँ विकसित हो जाती हैं, जिसके कारण रेटिना को नुकसान पहुँचने का खतरा रहता है। यदि समय रहते उचित उपचार न किया जाए तो शिशु की दृष्टि पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।कारण ⚠ [b]समय से पहले जन्म लेनाप्रीमेच्योर शिशुओं में रेटिना का विकास अधूरा रहता है, जिससे असामान्य रक्त वाहिनियाँ उत्पन्न होने लगती हैं। ⚠ [b]ऑक्सीजन सप्लाई में असंतुलनशिशुओं को दी जाने वाली ऑक्सीजन की अत्यधिक मात्रा या कमी रेटिनोपैथी के जोखिम को बढ़ा सकती है। ⚠ [b]अन्य स्वास्थ्य समस्याएंसंक्रमण, शारीरिक तनाव एवं अन्य चिकित्सकीय स्थितियां भी इस विकार में योगदान कर सकती हैं।[b]लक्षण⚠ [b]दृष्टि में धुंधलापनशिशु की दृष्टि अस्पष्ट हो सकती है, जिससे पास की वस्तुएं स्पष्ट न दिखें। ⚠ [b]अस्थायी दृष्टि परिवर्तनकुछ शिशुओं में दृष्टि में गिरावट या सुधार के चक्र देखे जा सकते हैं। ⚠ [b]रेटिना पर असामान्य रक्त वाहिनियाँनेत्र विशेषज्ञ द्वारा जांच में रेटिना पर असमान रक्त वाहिनियों का विकास देखा जाता है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी का सेवन मस्तिष्क एवं नेत्र स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है। ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शारीरिक शक्ति बढ़ाने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में लाभकारी है। ⚠ [b]त्रिफला नेत्र धोनात्रिफला के पानी से नियमित नेत्र धोने से आँखों की सफाई एवं रक्त संचार में सुधार होता है। ⚠ [b]आयुर्वेदिक नेत्र वत्सल्य तेलइस तेल के प्रयोग से नेत्रों में रक्त संचार बढ़ता है एवं रेटिना के स्वास्थ्य में सहायता मिलती है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं श्वसन प्राणायाम से मानसिक शांति प्राप्त होती है एवं संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार आता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचप्रीमेच्योर शिशुओं की नेत्र जांच नियमित रूप से करानी चाहिए ताकि रेटिना में होने वाले परिवर्तनों का शीघ्र पता चल सके। ⚠ [b]ऑक्सीजन की उचित मात्राशिशुओं को दी जाने वाली ऑक्सीजन सपोर्ट में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। ⚠ [b]माँ की सावधानीपूर्वक देखभालगर्भावस्था में उचित पोषण एवं नियमित चिकित्सकीय देखरेख से प्रीमेच्योर जन्म का खतरा कम किया जा सकता है। ⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैलीसंतुलित आहार, पर्याप्त विश्राम एवं स्वच्छ परिवेश शिशु के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक हैं।[b]निष्कर्षरेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी एक गंभीर नेत्र विकार है जो प्रीमेच्योर शिशुओं में असामान्य रक्त वाहिनियों के कारण रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। उचित चिकित्सकीय देखरेख के साथ आयुर्वेदिक उपचार, जैसे ब्राह्मी, अश्वगंधा, त्रिफला नेत्र धोना एवं आयुर्वेदिक नेत्र वत्सल्य तेल का संयोजन तथा नियमित योग एवं प्राणायाम से इस स्थिति में सुधार संभव है। लेख सारांश के रूप में यह कहा जा सकता है कि रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी के प्रबंधन हेतु सावधानी, नियमित नेत्र जांच एवं स्वस्थ जीवनशैली अत्यंत आवश्यक हैं; यदि लक्षण बढ़ें, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।