ओक्युलर हाइपरटेंशन (Ocular Hypertension) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय ओक्युलर हाइपरटेंशन वह स्थिति है जिसमें आंख के अंदर का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है जबकि ऑप्टिक नर्व को अभी तक कोई हानि नहीं पहुंची होती है। यह एक मौन अवस्था होती है जिसे समय रहते नियंत्रित न करने पर ग्लूकोमा में परिवर्तित होने का खतरा रहता है। अक्सर यह स्थिति कोई स्पष्ट लक्षण नहीं देती, इसलिए नियमित नेत्र जांच अति आवश्यक है।कारण ⚠ आंतरिक द्रव का असंतुलनआंख में निर्माण होने वाला जलीय द्रव (एक्यूएस ह्यूमर) अधिक मात्रा में बनने या निकास में बाधा के कारण दबाव बढ़ जाता है। ⚠ [b]आनुवांशिक प्रवृत्तिपारिवारिक इतिहास होने से इस स्थिति के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ⚠ [b]उम्र संबंधी परिवर्तनआयु के साथ आंख के द्रव निकास तंत्र में परिवर्तन आ जाते हैं जिससे दबाव बढ़ सकता है। ⚠ [b]मेडिकल स्थितियांकुछ चिकित्सा स्थितियां जैसे मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप भी ओक्युलर हाइपरटेंशन के जोखिम को बढ़ाती हैं। ⚠ [b]दवाओं का दुष्प्रभावकुछ औषधियों के लंबे समय तक सेवन से आंख के दबाव में वृद्धि हो सकती है।[b]लक्षण ⚠ [b]अक्सर लक्षणहीनशुरुआती अवस्था में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। ⚠ [b]हल्की धुंधलाहटकुछ मामलों में धुंधली दृष्टि या आंखों में हल्का दबाव महसूस हो सकता है। ⚠ [b]भविष्य में ग्लूकोमा का खतरायदि समय रहते उपचार न किया जाए तो ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचकर दृष्टि में स्थायी कमी हो सकती है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]त्रिफला नेत्र धोनात्रिफला के पानी से नियमित नेत्र धोने से आंखों की सफाई होती है एवं रक्त संचार में सुधार आता है। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी का सेवन मस्तिष्क तथा नेत्र स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में सहायक होता है। ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शरीर की शक्ति बढ़ाने एवं आयुर्वेदिक दृष्टि सुधार में लाभकारी मानी जाती है। ⚠ [b]तुलसी का काढ़ातुलसी के काढ़े का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने एवं संक्रमण से बचाव में मदद करता है। ⚠ [b]नीम एवं हल्दी का संयोजननीम एवं हल्दी के प्राकृतिक एंटीइंफ्लेमेटरी गुण आंखों के द्रव निकास तंत्र को संतुलित रखने में सहायक हो सकते हैं। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं विशेषकर अनुलोम-विलोम प्राणायाम से आंखों में रक्त संचार बेहतर होता है एवं मानसिक तनाव कम होता है।[b]रोकथाम के उपाय ⚠ [b]नियमित नेत्र जांच कराएंसमय-समय पर नेत्र विशेषज्ञ से जांच कराकर दबाव की निगरानी आवश्यक है। ⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं पर्याप्त विश्राम से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है। ⚠ [b]मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप का नियंत्रणइन चिकित्सा स्थितियों पर उचित ध्यान देकर आंख के दबाव को नियंत्रित रखा जा सकता है। ⚠ [b]दवाओं के दुष्प्रभाव से सावधान रहेंडॉक्टर की सलाह अनुसार औषधियों का उपयोग करें एवं आवश्यकतानुसार दवा में बदलाव कराएं। ⚠ [b]पर्यावरणीय प्रदूषण से बचावस्वच्छ वातावरण में रहने एवं धूल-मिट्टी से बचने से आंखों पर प्रभाव कम होता है।[b]निष्कर्ष ओक्युलर हाइपरटेंशन एक मौन अवस्था है जिसे अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते; हालांकि यदि समय रहते इसका प्रबंधन न किया जाए तो ग्लूकोमा में परिवर्तित होने का खतरा रहता है। नियमित नेत्र जांच, स्वस्थ जीवनशैली एवं आयुर्वेदिक उपचार जैसे त्रिफला नेत्र धोना, ब्राह्मी, अश्वगंधा एवं तुलसी के काढ़े का संयोजन आंखों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होते हैं। लेख सारांश के रूप में यह कहा जा सकता है कि ओक्युलर हाइपरटेंशन के प्रबंधन हेतु चिकित्सकीय देखरेख, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम एवं आयुर्वेदिक उपायों का समुचित संयोजन अत्यंत आवश्यक है; यदि दबाव में वृद्धि दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।