कंजक्टिवल नेवस (Conjunctival Nevus) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय कंजक्टिवल नेवस एक सौम्य पिगमेंटेड वृद्धि है जो आंख की कंजक्टिवा पर विकसित होती है। यह वृद्धि अक्सर जन्मजात होती है या बचपन में प्रकट होती है एवं सामान्यतः स्थायी रहती है। आमतौर पर यह स्थिति दर्द रहित होती है तथा दृष्टि पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं डालती है; परंतु कभी-कभार इसके आकार या रंग में बदलाव देखने को मिल सकता है।कारण ⚠ आनुवंशिक प्रवृत्तिपारिवारिक इतिहास एवं आनुवंशिक कारक कंजक्टिवल नेवस के विकास में भूमिका निभा सकते हैं। ⚠ [b]पर्यावरणीय प्रभावअत्यधिक धूप एवं अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क से पिगमेंटेशन में बदलाव आ सकता है। ⚠ [b]शारीरिक विकास के दौरान परिवर्तननेत्र के विकास के दौरान प्राकृतिक रूप से कुछ वृद्धि उत्पन्न हो सकती है।[b]लक्षण ⚠ [b]कंजक्टिवा पर पिगमेंटेड धब्बाआंख की सफेद सतह पर हल्के से गहरे रंग का उभार या धब्बा दिखाई देता है। ⚠ [b]आमतौर पर दर्द या जलन नहींअधिकतर मामलों में यह वृद्धि बिना किसी दर्द या जलन के होती है। ⚠ [b]आकार एवं रंग में स्थिरताअधिकांश नेवस स्थायी रहते हैं; यदि इनमें किसी प्रकार का परिवर्तन होता है तो चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक हो सकता है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]त्रिफला नेत्र धोनात्रिफला के पानी से नेत्र धोने से आंखों की सफाई बनी रहती है एवं रक्त संचार में सुधार आता है। ⚠ [b]तुलसी का काढ़ातुलसी के काढ़े का सेवन संपूर्ण स्वास्थ्य एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होता है। ⚠ [b]ब्राह्मी एवं अश्वगंधाइनका सेवन मानसिक संतुलन एवं नेत्र स्वास्थ्य में सुधार लाने में उपयोगी माना जाता है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से आंखों पर पड़ने वाले तनाव को कम किया जा सकता है एवं समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]धूप से सुरक्षासूर्य की तेज किरणों से बचने हेतु सुरक्षात्मक चश्मा एवं टोपी का उपयोग करें। ⚠ [b]नियमित नेत्र जांचसमय-समय पर नेत्र विशेषज्ञ से जांच कराकर किसी भी परिवर्तन का प्रारंभिक पता लगाया जा सकता है। ⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैलीसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं पर्याप्त विश्राम से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है।[b]निष्कर्षकंजक्टिवल नेवस एक सामान्य एवं सौम्य वृद्धि है जो आंख की कंजक्टिवा पर दिखाई देती है। यदि यह वृद्धि स्थिर रहती है एवं कोई लक्षण उत्पन्न नहीं करती है तो चिंता का विषय नहीं होती; परंतु किसी भी परिवर्तन पर शीघ्र चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है। नियमित नेत्र जांच, धूप से सुरक्षा एवं आयुर्वेदिक उपायों का संयोजन नेत्र स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक होते हैं।