मारोटॉ-लामी सिंड्रोम (Maroteaux-Lamy Syndrome) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय मारोटॉ-लामी सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है जो म्यूकोपॉलिसैकराइड्स के संचय से जुड़ा होता है। इसमें एराइलसल्फेटेज बी नामक एंजाइम की कमी के कारण ग्लाइकोसामिनोग्लाइकन्स ऊतकों में जमा हो जाते हैं, जिससे हड्डियों, जोड़ों, त्वचा एवं आंतरिक अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति शरीर के विकास में बाधा उत्पन्न करती है और शारीरिक रूप से असामान्यता पैदा करती है।कारण ⚠ [b]अनुवांशिक उत्परिवर्तनFGFR3 जीन के बजाय, मारोटॉ-लामी सिंड्रोम में एराइलसल्फेटेज बी एंजाइम में दोष होता है, जो आनुवांशिक रूप से संचरित होता है। ⚠ [b]एराइलसल्फेटेज बी की कमीइस एंजाइम की कमी से ग्लाइकोसामिनोग्लाइकन्स का अपघटन ठीक से नहीं हो पाता, जिससे उनका ऊतकों में संचय हो जाता है। ⚠ [b]म्यूकोपॉलिसैकराइड्स का संचयइस संचय से ऊतकों में सूजन, कठोरता एवं विकृति आती है, जो शरीर के विकास को प्रभावित करती है।[b]लक्षण⚠ [b]शारीरिक विकास में बाधाछोटे कद, हड्डियों का असामान्य विकास एवं मोटी त्वचा जैसी विशेषताएं देखी जाती हैं। ⚠ [b]संयुक्त जकड़न एवं दर्दजोड़ों में कठोरता, दर्द एवं गतिशीलता में कमी होती है। ⚠ [b]चेहरे की मोटाई एवं असमानतामोटा चेहरा, उभरी हुई नाक एवं मोटे होंठ जैसी विशेषताएं उत्पन्न होती हैं। ⚠ [b]आंतरिक अंगों में प्रभावहृदय, जिगर एवं अन्य अंगों में भी ग्लाइकोसामिनोग्लाइकन्स का संचय होने से उनके कार्य प्रभावित हो सकते हैं। ⚠ [b]दृष्टि एवं श्रवण संबंधी समस्याएंकुछ मामलों में आंखों एवं कानों से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]शतावरीशतावरी का सेवन हार्मोनल संतुलन बनाए रखने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होता है। ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शरीर की शक्ति बढ़ाने एवं ऊर्जावान बनाए रखने में लाभकारी है। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक संतुलन एवं स्मरण शक्ति में सुधार लाने में उपयोगी है। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में मदद करता है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से मानसिक एवं शारीरिक तनाव में कमी आती है तथा संपूर्ण रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। ⚠ [b]संतुलित आहारविटामिन, मिनरल एवं प्रोटीन युक्त आहार हड्डियों एवं ऊतकों के विकास में सहायक होता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]अनुवांशिक परामर्शपरिवार में विकार के इतिहास होने पर गर्भावस्था से पहले अनुवांशिक परामर्श लेना लाभकारी हो सकता है। ⚠ [b]गर्भावस्था में सावधानीमाँ का संतुलित आहार, संक्रमण से बचाव एवं उचित पोषण भ्रूण के स्वस्थ विकास में मदद करता है। ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचजन्म के पश्चात नियमित जांच से रोग के प्रभाव का शीघ्र पता चल सकता है एवं आवश्यक प्रबंधन किया जा सकता है। ⚠ [b]सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समर्थनशारीरिक आकार में अंतर के कारण सामाजिक एवं मानसिक चुनौतियों का सामना करने हेतु परामर्श एवं सहारा समूहों का सहयोग लाभकारी होता है।[b]निष्कर्षमारोटॉ-लामी सिंड्रोम एक गंभीर अनुवांशिक विकार है जिसमें एराइलसल्फेटेज बी की कमी के कारण हड्डियों, जोड़ों एवं अन्य ऊतकों में ग्लाइकोसामिनोग्लाइकन्स का संचय होता है। नियमित चिकित्सकीय जांच, संतुलित आहार, योग एवं प्राणायाम तथा आयुर्वेदिक उपचार जैसे शतावरी, अश्वगंधा, ब्राह्मी एवं त्रिफला का संयोजन रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने एवं जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक हो सकता है; साथ ही सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समर्थन भी अत्यंत आवश्यक है।