फेनिलकेटोन्यूरिया (Phenylketonuria) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय फेनिलकेटोन्यूरिया एक आनुवांशिक चयापचय विकार है जिसमें फेनिलएलनिन नामक अमीनो एसिड का अपघटन ठीक से नहीं हो पाता है। इस विकार के कारण फेनिलएलनिन और इसके हानिकारक अपघटन उत्पाद शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे मस्तिष्क और अन्य ऊतकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह रोग ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से संचरित होता है।[b]कारण ⚠ [b]फेनिलएलनिन हाइड्रॉक्सिलेज़ एन्जाइम की कमीइस एन्जाइम की अपर्याप्तता के कारण फेनिलएलनिन का सही से अपघटन नहीं हो पाता। ⚠ [b]अनुवांशिक उत्परिवर्तनऑटोसोमल रिसेसिव उत्परिवर्तन के कारण परिवार में इतिहास होने पर जोखिम बढ़ जाता है। ⚠ [b]मेटाबॉलिक असंतुलनअपर्याप्त एन्जाइम क्रिया से मेटाबॉलिक प्रक्रिया में असंतुलन पैदा होता है।[b]लक्षण ⚠ [b]मानसिक विकास में मंदताउपचार न होने पर न्यूरोलॉजिकल नुकसान एवं मानसिक विकास में देरी हो सकती है। ⚠ [b]त्वचा का हल्का रंग एवं बालों में फरकत्वचा एवं बाल सामान्य से हल्के रंग के हो सकते हैं। ⚠ [b]मूत्र में अनोखी गंधमूत्र में मूसली या अजीब गंध का अनुभव होता है। ⚠ [b]आहार से जुड़ी संवेदनशीलताफेनिलएलनिन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से लक्षण और बढ़ सकते हैं।[b]आयुर्वेदिक उपचार हालांकि फेनिलकेटोन्यूरिया का मुख्य उपचार नियंत्रित आहार एवं आधुनिक चिकित्सा द्वारा किया जाता है, निम्न आयुर्वेदिक उपाय रोगी की समग्र स्वास्थ्य स्थिति को सुधारने में सहायक हो सकते हैं: ⚠ [b]अश्वगंधाशरीर की शक्ति बढ़ाने एवं तनाव नियंत्रित करने में सहायक। ⚠ [b]ब्राह्मीमानसिक संतुलन एवं स्मरण शक्ति को मजबूत करने में लाभकारी। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में मदद करता है। ⚠ [b]तुलसी का काढ़ातुलसी का काढ़ा प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होता है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है तथा रक्त परिसंचरण में सुधार आता है। ⚠ [b]नियंत्रित आहारफेनिलएलनिन युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज एवं चिकित्सकीय आहार योजना का पालन रोग प्रबंधन में महत्वपूर्ण है।[b]रोकथाम के उपाय ⚠ [b]अनुवांशिक परामर्शपरिवार में इस विकार के इतिहास होने पर गर्भावस्था से पहले अनुवांशिक सलाह लेना लाभकारी हो सकता है। ⚠ [b]नवजात स्क्रीनिंगनवजात शिशुओं में शीघ्र जांच से रोग का प्रारंभिक पता चल सकता है। ⚠ [b]नियंत्रित आहार एवं चिकित्सकीय देखरेखफेनिलएलनिन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नियंत्रित कर नियमित चिकित्सकीय निगरानी रोग के प्रभाव को कम करने में सहायक है। ⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैलीसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं पर्याप्त विश्राम से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।[b]निष्कर्षफेनिलकेटोन्यूरिया एक गंभीर आनुवांशिक चयापचय विकार है जिसमें फेनिलएलनिन का संचय न्यूरोलॉजिकल एवं अन्य ऊतकीय समस्याओं का कारण बनता है। नियंत्रित आहार, नियमित चिकित्सकीय देखरेख एवं स्वस्थ जीवनशैली के साथ आयुर्वेदिक उपाय, जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, त्रिफला, तुलसी का काढ़ा एवं योग एवं प्राणायाम का संयोजन रोग के प्रभाव को कम करने एवं जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षण बढ़ें, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।