पॉलीमायोसाइटिस (Polymyositis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय पॉलीमायोसाइटिस एक पुरानी सूजनयुक्त पेशीय विकार है जिसमें मुख्यतः शरीर की मोटी पेशियों में सूजन एवं कमजोरी उत्पन्न होती है। यह स्थिति अक्सर ऑटोइम्यून प्रकृति की होती है और धीरे-धीरे पेशीय क्षति का कारण बनती है, जिसके फलस्वरूप चलने-फिरने, उठने-बैठने एवं अन्य दैनिक कार्यों में कठिनाई होती है।कारण ⚠ ऑटोइम्यून प्रक्रियाशरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही पेशियों पर हमला करती है जिससे सूजन उत्पन्न होती है। ⚠ [b]अनुवांशिक प्रवृत्तिपरिवार में इस विकार का इतिहास होने से जोखिम बढ़ सकता है। ⚠ [b]पर्यावरणीय ट्रिगर्सकुछ मामलों में संक्रमण या अन्य बाहरी कारक भी इस स्थिति को उत्तेजित करने में भूमिका निभाते हैं। ⚠ [b]अज्ञात कारणअक्सर इसके सटीक कारण का निर्धारण नहीं हो पाता, अतः यह कई कारकों का सम्मिलित परिणाम होता है।[b]लक्षण ⚠ [b]प्रोक्षिमल पेशियों में कमजोरीकंधे, कूल्हे एवं ऊपरी पैरों की पेशियों में धीरे-धीरे कमजोरी होती है जिससे चढ़ाई-उतराई एवं उठने में कठिनाई होती है। ⚠ [b]पेशीय दर्द एवं सूजनप्रभावित क्षेत्रों में दर्द, थकान एवं सूजन महसूस हो सकती है। ⚠ [b]थकान एवं कमजोरी का अनुभवरोजमर्रा के कार्यों में असामान्य थकान एवं ऊर्जा की कमी देखने को मिलती है। ⚠ [b]खाना निगलने में दिक्कतकुछ मामलों में गले की पेशियों के प्रभावित होने से निगलने में कठिनाई हो सकती है। ⚠ [b]दिवसीय जीवन में असहजतादिनचर्या में संपूर्ण कमजोरी एवं थकान के कारण कार्यक्षमता प्रभावित होती है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा का सेवन शरीर की शक्ति बढ़ाने एवं सूजन नियंत्रित करने में मदद करता है। ⚠ [b]गुडुचीगुडुची प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित कर शरीर की सूजन को कम करने एवं पेशियों की मरम्मत में सहायक होती है। ⚠ [b]शतावरीशतावरी का उपयोग हार्मोनल संतुलन बनाए रखने एवं ऊर्जा बढ़ाने में लाभकारी माना जाता है। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक तनाव कम करने एवं तंत्रिका तंत्र को संतुलित रखने में सहायक होता है, जिससे रोगी का संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होता है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक एवं शारीरिक तनाव में कमी आती है, जिससे रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और पेशियों तक पर्याप्त पोषण पहुंचता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचसमय-समय पर विशेषज्ञ से जांच कराना आवश्यक है ताकि रोग के प्रारंभिक संकेतों का शीघ्र पता चल सके। ⚠ [b]स्वस्थ आहारपोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार, विशेषकर प्रोटीन, विटामिन एवं मिनरल युक्त भोजन पेशियों की मरम्मत एवं वृद्धि में सहायक होता है। ⚠ [b]नियमित व्यायामहल्के व्यायाम एवं फिजिकल थेरेपी से पेशियों की मजबूती बढ़ाने में मदद मिलती है। ⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं पर्याप्त विश्राम से मानसिक तनाव को नियंत्रित करना रोग के प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। ⚠ [b]पर्यावरणीय कारकों से बचावसंक्रमण एवं अन्य बाहरी कारकों से बचाव हेतु स्वच्छ वातावरण एवं सुरक्षित रहने की आदत विकसित करें।[b]निष्कर्षपॉलीमायोसाइटिस एक पुरानी सूजनयुक्त पेशीय विकार है जिसमें ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण पेशियों में कमजोरी, दर्द एवं सूजन होती है। नियमित चिकित्सकीय देखरेख, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं तनाव प्रबंधन के साथ आयुर्वेदिक उपचार जैसे अश्वगंधा, गुडुची, शतावरी, ब्राह्मी एवं त्रिफला का संयोजन एवं नियमित योग एवं प्राणायाम रोग के प्रबंधन में सहायक हो सकता है; यदि लक्षणों में कोई बदलाव दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।