चारकोट-मैरी-टूथ डिजीज (Charcot-Marie-Tooth Disease) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय चारकोट-मैरी-टूथ डिजीज एक आनुवांशिक परिधीय न्यूरोपैथी है जिसमें परिधीय नसों की संरचना एवं कार्य में विकार होता है। इससे हाथों और पैरों की पेशियों में कमजोरी, धीरे-धीरे मांसपेशियों का झुकाव, और संवेदनशीलता में कमी जैसी समस्याएं होती हैं। यह रोग आमतौर पर बचपन या युवा अवस्था में प्रकट होता है और जीवन भर रह सकता है।[b]कारण⚠ [b]अनुवांशिक उत्परिवर्तनयह विकार ऑटोसोमल डॉमिनेंट, ऑटोसोमल रिसेसिव या X-लिंक्ड तरीके से संचरित हो सकता है, जिसमें नसों के ढांचे और कार्य में आवश्यक प्रोटीनों में दोष होता है। ⚠ [b]नसों के संरचनात्मक दोषजीन में उत्परिवर्तन के कारण परिधीय नसों की मायलिन लेयर या अन्य संरचनात्मक घटकों में असमानता आती है, जिससे संचार में बाधा उत्पन्न होती है।[b]लक्षण⚠ [b]प्रोक्षिमल पेशियों में कमजोरीविशेषकर पैरों, टखनों और हाथों की पेशियों में धीरे-धीरे कमजोरी एवं मांसपेशियों का झुकाव। ⚠ [b]पैरों में विकृतिउच्च आर्च, हैमर टो या अन्य पैर की असामान्यताएं दिखाई देती हैं। ⚠ [b]संवेदनशीलता में कमीहाथों एवं पैरों में छूने, तापमान या दर्द की संवेदनशीलता कम हो सकती है। ⚠ [b]चलने-फिरने में कठिनाईमांसपेशियों में कमजोरी के कारण संतुलन में कमी एवं रोजमर्रा के कार्यों में कठिनाई होती है। ⚠ [b]कभी-कभार दर्द एवं ऐंठनकुछ रोगियों में नसों से संबंधित दर्द या ऐंठन भी अनुभव की जा सकती है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा का सेवन शरीर की शक्ति बढ़ाने एवं न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होता है। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक संतुलन बढ़ाने एवं तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य में सुधार लाने में उपयोगी माना जाता है। ⚠ [b]शंखपुष्पीशंखपुष्पी का सेवन नसों के स्वास्थ्य में सुधार तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होता है। ⚠ [b]हल्दीहल्दी के सूजनरोधी गुण नसों में सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होने एवं रक्त परिसंचरण में सुधार होने से पेशियों तक आवश्यक पोषण पहुँचता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]अनुवांशिक परामर्शपरिवार में इतिहास होने पर गर्भावस्था से पहले अनुवांशिक सलाह लेना सहायक हो सकता है। ⚠ [b]नियंत्रित आहार एवं चिकित्सकीय देखरेखसंतुलित आहार, नियमित चिकित्सकीय जांच एवं फिजिकल थेरेपी से रोग की प्रगति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ⚠ [b]नियमित व्यायामहल्के व्यायाम एवं फिजिकल थेरेपी से पेशियों की मजबूती बनाए रखने में सहायक होता है। ⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं पर्याप्त विश्राम से मानसिक तनाव को कम करके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।[b]निष्कर्षचारकोट-मैरी-टूथ डिजीज एक आनुवांशिक परिधीय न्यूरोपैथी है जिसमें परिधीय नसों में संरचनात्मक दोष के कारण पेशियों में कमजोरी, पैरों में विकृति एवं संवेदनशीलता में कमी होती है। नियमित चिकित्सकीय देखरेख, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं तनाव प्रबंधन के साथ आयुर्वेदिक उपचार – जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, त्रिफला एवं हल्दी का संयोजन तथा नियमित योग एवं प्राणायाम – रोग के प्रभाव को कम करने एवं जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।