मल्टीपल सिस्टम एट्रॉफी (Multiple System Atrophy) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
मल्टीपल सिस्टम एट्रॉफी एक पुरानी न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जिसमें मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड एवं परिधीय नसों में धीरे-धीरे क्षति होती है। यह स्थिति ऑटोनोमिक फेल्योर (स्वत: नियंत्रण कार्यों में विफलता) के साथ-साथ पारकिन्सनिज़्म, सेरेबेलर डिसफंक्शन और अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का कारण बनती है। रोगी को चलते-फिरते, बोलते एवं दैनिक गतिविधियों में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
कारण⚠ [b]अनुवांशिक उत्परिवर्तन
मल्टीपल सिस्टम एट्रॉफी के विभिन्न प्रकार आनुवांशिक उत्परिवर्तन के कारण होते हैं, जो मस्तिष्क के ऊतकीय संतुलन को प्रभावित करते हैं।
न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन
मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे डोपामाइन एवं सेरोटोनिन के स्तर में असंतुलन के कारण मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में सूजन एवं क्षति होती है।
ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएं
कुछ मामलों में ऑटोइम्यून प्रक्रिया भी न्यूरोलॉजिकल ऊतकों में क्षति का कारण बन सकती है।
पर्यावरणीय ट्रिगर्स
पर्यावरणीय प्रदूषण, विषाक्त पदार्थ एवं तनाव जैसे बाहरी कारक भी न्यूरोलॉजिकल क्षति को बढ़ावा दे सकते हैं।
लक्षण
⚠ [b]ऑटोनोमिक फेल्योर
रक्तचाप में अस्थिरता, पसीना, पाचन संबंधी समस्याएं एवं अनियमित हृदय गति जैसे लक्षण।
मूवमेंट डिसफंक्शन
पारकिन्सनिज़्म जैसे लक्षण – झटके, कठोरता, धीमी गतिशीलता एवं असामान्य चलने की शैली।
सेरेबेलर असंतुलन
संतुलन में कमी, हाथ-पैर में कंपकंपी एवं समन्वय में गिरावट।
बोलने एवं निगलने में कठिनाई
कुछ रोगियों में भाषा, बोलने एवं निगलने की प्रक्रिया में बाधा आती है।
दैनिक गतिविधियों में बाधाइन सभी लक्षणों के कारण रोगी की दैनिक गतिविधियां, जैसे चलना, खाना, या लिखना प्रभावित हो जाती हैं।
[b]आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य एवं संपूर्ण तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने के लिए निम्न उपाय सहायक माने जाते हैं:
⚠ [b]अश्वगंधा
अश्वगंधा का सेवन शरीर की शक्ति बढ़ाने, तनाव कम करने एवं सूजन नियंत्रित करने में सहायक होता है।
ब्राह्मी
ब्राह्मी का सेवन मानसिक संतुलन एवं स्मरण शक्ति में सुधार लाने में उपयोगी है।
गुडुची
गुडुची प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित कर न्यूरोलॉजिकल ऊतकों में सूजन कम करने में मदद करती है।
त्रिफला
त्रिफला का नियमित सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होता है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
हल्दी
हल्दी के प्राकृतिक सूजनरोधी गुण न्यूरोलॉजिकल ऊतकों में सूजन को नियंत्रित करने में लाभकारी होते हैं।
योग एवं प्राणायाम
नियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी एवं रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जिससे प्रभावित नसों तक पोषण बेहतर रूप से पहुँचता है।
आयुर्वेदिक हर्बल मिश्रण
कुछ हर्बल मिश्रण, जैसे शंखपुष्पी एवं गिलोय, भी न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक माने जाते हैं।
[b]रोकथाम के उपाय
⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचन्यूरोलॉजिकल एवं ऑटोनोमिक फंक्शन की नियमित जांच रोग के प्रारंभिक संकेतों का पता लगाने में सहायक होती है।
⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं पर्याप्त विश्राम से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
⚠ [b]तनाव प्रबंधन करेंयोग, ध्यान एवं पर्याप्त विश्राम से मानसिक तनाव को नियंत्रित रखना महत्वपूर्ण है।
⚠ [b]पर्यावरणीय प्रदूषण एवं हानिकारक आदतों से बचेंधूम्रपान एवं प्रदूषण से बचाव से संपूर्ण स्वास्थ्य एवं रक्त परिसंचरण में सुधार होता है।
⚠ [b]अनुवांशिक परामर्शयदि परिवार में न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार का इतिहास हो, तो अनुवांशिक परामर्श लेना लाभकारी हो सकता है।
[b]निष्कर्ष
मल्टीपल सिस्टम एट्रॉफी एक गंभीर न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है, जिसमें ऑटोनोमिक फेल्योर और मूवमेंट डिसफंक्शन के कारण दैनिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। उचित चिकित्सकीय देखरेख, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं तनाव प्रबंधन के साथ आयुर्वेदिक उपचार – जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, गुडुची, त्रिफला, हल्दी एवं नियमित योग एवं प्राणायाम – का संयोजन रोग के प्रभाव को कम करने एवं रोगी के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।

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