सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस मायेलोपैथी (Cervical Spondylotic Myelopathy) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस मायेलोपैथी एक पुरानी स्थिति है जिसमें गर्दन (सर्वाइकल स्पाइन) में उम्र-संबंधी हड्डीय परिवर्तन, डिस्क के क्षरण एवं ओस्टियोफाइट्स (हड्डी के बढ़ाव) के कारण स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव पड़ता है। इस दबाव से मस्तिष्क तक संचार प्रभावित होता है जिससे हाथों-पैर में कमजोरी, संतुलन में कमी एवं अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण प्रकट होते हैं।कारण⚠ [b]आयु-संबंधी हड्डीय परिवर्तन गर्दन की हड्डियों में प्राकृतिक रूप से होने वाले परिवर्तन, डिस्क का क्षरण एवं हड्डी में ओस्टियोफाइट्स का विकास। ⚠ आर्थराइटिस एवं डिस्क डिजेनेरेशन जोड़ों में सूजन एवं डिस्क के धीरे-धीरे क्षरण से स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव बढ़ता है। ⚠ पिछले आघात या चोटें गर्दन पर चोट या बार-बार के आघात से ऊतकीय क्षति एवं स्पोंडिलोसिस की प्रक्रिया तेज हो सकती है। ⚠ अन्य चिकित्सा स्थितियां उच्च रक्तचाप, मधुमेह एवं अन्य चिकित्सा स्थितियों के कारण भी नसों एवं ऊतकों में परिवर्तन हो सकते हैं।लक्षण ⚠ [b]गर्दन में दर्द एवं अकड़न गर्दन के आस-पास स्थायी या आवर्ती दर्द एवं अकड़न। ⚠ हाथ-पैर में कमजोरी एवं सुन्नता स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव के कारण हाथों एवं पैरों में शक्ति की कमी, झुनझुनी एवं संवेदनशीलता में कमी। ⚠ संतुलन में कमीचलने-फिरने में असमंजसता एवं गिरने की आशंका। ⚠ [b]दैनिक क्रियाओं में बाधाबुनियादी कार्यों में असुविधा जैसे उठना, बैठना एवं निगलने में कठिनाई। ⚠ [b]दृष्टि एवं बोलचाल में परिवर्तनकुछ मामलों में देखने, बोलने या समझने में भी हल्की असमंजसता देखी जा सकती है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]अश्वगंधा शरीर की शक्ति बढ़ाने एवं सूजन नियंत्रित करने में सहायक। ⚠ ब्राह्मी मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र के संतुलन में सुधार एवं मानसिक तनाव कम करने में लाभकारी। ⚠ शिलाजीत हड्डियों एवं ऊतकों के पोषण तथा ऊर्जा स्तर बढ़ाने में सहायक माना जाता है। ⚠ गुडुची प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित कर सूजन कम करने एवं ऊतकीय मरम्मत में मददगार। ⚠ त्रिफला त्रिफला का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक है। ⚠ हल्दी हल्दी के प्राकृतिक सूजनरोधी गुण ऊतकों में सूजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ⚠ योग एवं प्राणायाम नियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी एवं रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जिससे प्रभावित ऊतकों तक पर्याप्त पोषण पहुँचता है।रोकथाम के उपाय ⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांच कराएं विशेषज्ञ से नियमित जांच से प्रारंभिक लक्षणों का पता लगाने में मदद मिलती है। ⚠ [b]संतुलित आहार एवं पोषणपोषक तत्वों, विटामिन एवं मिनरल युक्त संतुलित आहार हड्डियों एवं नसों के स्वास्थ्य में सहायक होता है। ⚠ [b]नियमित व्यायाम एवं फिजिकल थेरेपीहल्के व्यायाम, फिजिकल थेरेपी एवं गर्दन की सुरक्षा के उपाय पेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। ⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं पर्याप्त विश्राम से मानसिक तनाव को नियंत्रित रखें। ⚠ [b]आँखों एवं मस्तिष्क के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंपर्यावरणीय प्रदूषण एवं हानिकारक आदतों से बचाव से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।[b]निष्कर्षसर्वाइकल स्पोंडिलोसिस मायेलोपैथी एक पुरानी और प्रगतिशील स्थिति है जिसमें गर्दन की हड्डियों में आयु-संबंधी परिवर्तन एवं डिस्क क्षरण के कारण स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव पड़ता है। नियमित चिकित्सकीय देखरेख, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं तनाव प्रबंधन के साथ आयुर्वेदिक उपचार – जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, शिलाजीत, गुडुची, त्रिफला, हल्दी एवं नियमित योग एवं प्राणायाम – का संयोजन रोग के प्रभाव को कम करने एवं जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षण बढ़ें, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।