साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर (Cyclothymic Disorder) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर एक पुराना मनोभाविक विकार है जिसमें रोगी की मनोदशा में लगातार हल्के अवसाद और हल्की हाइपोमेनिया के दौर आते रहते हैं। यह विकार बाइपोलर डिसऑर्डर के तुलनात्मक रूप से कम तीव्र और दीर्घकालिक होता है, परंतु इससे व्यक्ति के सामाजिक, शैक्षिक एवं पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
[b]कारण⚠ [b]आनुवांशिक प्रवृत्तिपरिवार में मनोभाविक विकारों का इतिहास होने से जोखिम बढ़ जाता है।
⚠ [b]न्यूरोकेमिकल असंतुलनमस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन एवं नॉरएड्रेनालाईन में असंतुलन भी इस विकार के विकास में भूमिका निभाते हैं।
⚠ [b]पर्यावरणीय एवं मनोवैज्ञानिक कारकतनावपूर्ण पारिवारिक वातावरण, सामाजिक दबाव एवं व्यक्तिगत आघात के कारण भी साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
[b]लक्षण⚠ [b]मूड में हल्के उतार-चढ़ावलगातार हल्के अवसाद के दौर और हाइपोमेनिया के दौर का क्रमिक रूप से आना।
⚠ [b]ऊर्जा में बदलावकुछ समय तक अत्यधिक सक्रियता एवं उत्साह, जबकि अन्य समय थकान एवं उदासी महसूस होना।
⚠ [b]सोचने एवं निर्णय लेने में असमंजसमूड स्विंग्स के कारण निर्णय लेने में कठिनाई एवं असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
⚠ [b]सामाजिक एवं पारिवारिक संघर्षमूड में निरंतर उतार-चढ़ाव से रिश्तों में तनाव एवं संघर्ष की स्थिति बन सकती है।
[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा का सेवन शरीर की शक्ति बढ़ाने, तनाव को कम करने एवं मनोदशा में संतुलन लाने में सहायक होता है।
⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मानसिक संतुलन एवं स्मरण शक्ति को सुधारने में लाभकारी होता है।
⚠ [b]शंखपुष्पीशंखपुष्पी का उपयोग तंत्रिका तंत्र को स्थिर करने एवं मन को शांत रखने में किया जाता है।
⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का नियमित सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होता है।
⚠ [b]हल्दीहल्दी के प्राकृतिक सूजनरोधी गुण मनोदशा में असंतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी आती है तथा रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जो मानसिक स्थिरता एवं संतुलन को बढ़ावा देता है।
[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]नियमित मनोवैज्ञानिक परामर्शसमय-समय पर काउंसलिंग से मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर निगरानी रखी जा सकती है।
⚠ [b]सकारात्मक पारिवारिक एवं सामाजिक वातावरणसमर्थनपूर्ण पारिवारिक माहौल एवं सकारात्मक सामाजिक संपर्क मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं।
⚠ [b]संतुलित आहार एवं नियमित व्यायामपोषक तत्वों से भरपूर आहार एवं नियमित शारीरिक गतिविधि से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से मानसिक तनाव को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।
[b]निष्कर्षसाइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर एक दीर्घकालिक मनोभाविक विकार है जिसमें हल्के अवसाद और हाइपोमेनिया के दौर आते रहते हैं। नियमित मनोवैज्ञानिक परामर्श, सकारात्मक सामाजिक वातावरण, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं आयुर्वेदिक उपचार – जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, त्रिफला, हल्दी एवं नियमित योग एवं प्राणायाम – का संयोजन मानसिक संतुलन बनाए रखने एवं रोग के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।

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