बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर एक मनोवैज्ञानिक विकार है जिसमें व्यक्ति की भावनात्मक अस्थिरता, आत्म-छवि में असंतुलन एवं संबंधों में तीव्र उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। इस विकार में व्यक्ति का व्यवहार अक्सर चरम प्रतिक्रियाओं से भरा रहता है जिससे पारिवारिक, सामाजिक एवं पेशेवर जीवन में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं।
[b]कारण⚠ [b]आनुवांशिक प्रवृत्तिपरिवार में मानसिक विकारों का इतिहास होने से जोखिम बढ़ सकता है।
⚠ [b]न्यूरोकेमिकल असंतुलनमस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन व्यक्ति की भावनात्मक प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है।
⚠ [b]मनोवैज्ञानिक आघातबचपन में आघात, दुर्व्यवहार या अत्यधिक तनावपूर्ण अनुभव इस विकार के विकास में योगदान कर सकते हैं।
⚠ [b]पर्यावरणीय ट्रिगर्सअसंगत पारिवारिक माहौल, सामाजिक दबाव एवं अन्य बाहरी कारक भी लक्षणों को बढ़ावा देते हैं।
[b]लक्षण⚠ [b]भावनात्मक अस्थिरताव्यक्ति में अचानक अत्यधिक खुशी, उदासी, क्रोध एवं निराशा के दौर आते रहते हैं।
⚠ [b]स्वयं की छवि में असमंजसताआत्म-छवि में लगातार बदलाव एवं अपनी पहचान को लेकर भ्रम उत्पन्न होता है।
⚠ [b]अत्यधिक रिलेशनशिप में उत्तेजनारिश्तों में अत्यधिक नजदीकी, अचानक दूरी एवं तीव्र भावनात्मक झटके देखने को मिलते हैं।
⚠ [b]आक्रामकता एवं आत्महानि की प्रवृत्तिव्यक्ति में आक्रामकता, आत्महत्या के विचार एवं आत्म-हानि के प्रयास भी देखे जा सकते हैं।
⚠ [b]अस्वस्थ आवेग नियंत्रणअतिरिक्त आवेग, अचानक क्रोध एवं बिना सोचे समझे कार्य करना सामान्य लक्षण हैं।
[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा का सेवन मानसिक एवं शारीरिक शक्ति बढ़ाने, तनाव कम करने एवं संतुलन बनाने में सहायक माना जाता है।
⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी का सेवन मस्तिष्क की कार्यक्षमता एवं स्मरण शक्ति में सुधार लाने में उपयोगी होता है, जिससे भावनात्मक स्थिरता में सहायता मिलती है।
⚠ [b]शंखपुष्पीशंखपुष्पी तंत्रिका तंत्र को स्थिर रखने एवं मन को शांत करने में लाभकारी है।
⚠ [b]तुलसी का काढ़ातुलसी का काढ़ा प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का नियमित सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है एवं शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में मदद करता है।
⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी एवं रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जिससे मन की स्थिरता प्राप्त होती है।
[b]रोकथाम के उपाय
⚠ [b]नियमित मनोवैज्ञानिक परामर्शसमय-समय पर विशेषज्ञ से परामर्श लेने से प्रारंभिक लक्षणों का शीघ्र पता चल सकता है एवं उचित उपचार संभव होता है।
⚠ [b]सकारात्मक पारिवारिक एवं सामाजिक वातावरणसमर्थनपूर्ण परिवारिक माहौल एवं सकारात्मक सामाजिक संबंध व्यक्ति के मनोबल को बढ़ाते हैं।
⚠ [b]संतुलित आहार एवं नियमित व्यायामपोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार एवं नियमित शारीरिक गतिविधियाँ मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाती हैं।
⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान, रचनात्मक गतिविधियों एवं पर्याप्त विश्राम के माध्यम से मानसिक तनाव को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।
[b]निष्कर्षबॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर में व्यक्ति की भावनात्मक अस्थिरता, स्वयं की पहचान में असंतुलन एवं संबंधों में तीव्र उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं, जो उनके सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। उचित मनोवैज्ञानिक परामर्श, सकारात्मक पारिवारिक माहौल, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं तनाव प्रबंधन के साथ आयुर्वेदिक उपचार – जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, तुलसी का काढ़ा, त्रिफला एवं नियमित योग एवं प्राणायाम – का संयोजन इस विकार के प्रभाव को कम करने एवं जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।

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