सोमैटिक सिम्पटम डिसऑर्डर (Somatic Symptom Disorder) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय सोमैटिक सिम्पटम डिसऑर्डर एक मनोवैज्ञानिक विकार है जिसमें व्यक्ति अपनी शारीरिक शिकायतों पर अत्यधिक ध्यान देता है। इसमें भले ही कोई वास्तविक चिकित्सकीय कारण मौजूद हो, लेकिन व्यक्ति उन लक्षणों को असामान्य रूप से गंभीर मानता है और इनसे अत्यधिक मानसिक तनाव एवं असुविधा का सामना करता है। इससे उनके सामाजिक, पारिवारिक एवं पेशेवर जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।कारण ⚠ मनोवैज्ञानिक तनाव एवं आघात बचपन में आघात, दुर्व्यवहार या अत्यधिक तनावपूर्ण परिस्थितियाँ इस विकार के विकास में भूमिका निभा सकती हैं। ⚠ [b]आनुवांशिक प्रवृत्तिपरिवार में मानसिक विकारों का इतिहास होने से व्यक्ति में इस विकार के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। ⚠ [b]न्यूरोकेमिकल असंतुलनमस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन एवं डोपामाइन का असंतुलन भी शारीरिक लक्षणों के प्रति असामान्य जागरूकता उत्पन्न कर सकता है। ⚠ [b]पर्यावरणीय ट्रिगर्ससामाजिक दबाव, तनावपूर्ण माहौल एवं अन्य बाहरी कारक व्यक्ति में अस्वस्थ मानसिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देते हैं।[b]लक्षण⚠ [b]अत्यधिक शारीरिक शिकायतेंव्यक्ति को अक्सर शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द, थकान, या अन्य असामान्य लक्षणों का अनुभव होता है, जो चिकित्सकीय जांच में पर्याप्त कारण नहीं पाते। ⚠ [b]चिकित्सकीय जांच पर अत्यधिक निर्भरताअक्सर बार-बार डॉक्टर के पास जाना और जांच करवाना, भले ही कोई गंभीर बीमारी न हो। ⚠ [b]मनोवैज्ञानिक चिंताशारीरिक लक्षणों के बारे में अत्यधिक चिंता और भय, जिससे व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित होता है। ⚠ [b]सामाजिक एवं पेशेवर जीवन में बाधाइन लक्षणों के कारण व्यक्ति अपने सामाजिक और कार्यस्थल संबंधी दायित्वों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ रहता है।[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा का सेवन मानसिक शक्ति बढ़ाने एवं तनाव को कम करने में सहायक होता है। ⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी मस्तिष्क की कार्यक्षमता एवं स्मरण शक्ति को सुधारने में लाभकारी है, जिससे मन की स्थिरता आती है। ⚠ [b]शंखपुष्पीशंखपुष्पी तंत्रिका तंत्र को शांत करने एवं मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक मानी जाती है। ⚠ [b]तुलसी का काढ़ातुलसी का काढ़ा प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला का नियमित सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होता है। ⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी आती है एवं रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जिससे मस्तिष्क तक आवश्यक पोषण बेहतर रूप से पहुँचता है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]समय पर मनोवैज्ञानिक परामर्शनियमित काउंसलिंग एवं थेरेपी से लक्षणों का शीघ्र पता चलता है और उचित उपचार शुरू किया जा सकता है। ⚠ [b]सकारात्मक पारिवारिक एवं सामाजिक वातावरणसमर्थनपूर्ण परिवारिक माहौल एवं सकारात्मक सामाजिक संपर्क व्यक्ति की मानसिक स्थिरता बढ़ाने में सहायक होते हैं। ⚠ [b]संतुलित आहार एवं नियमित व्यायामपोषक तत्वों से भरपूर आहार एवं नियमित शारीरिक गतिविधि से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। ⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान, रचनात्मक गतिविधियों एवं पर्याप्त विश्राम के माध्यम से मानसिक तनाव को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।[b]निष्कर्षसोमैटिक सिम्पटम डिसऑर्डर में व्यक्ति अपनी शारीरिक शिकायतों पर अत्यधिक ध्यान देकर असामान्य चिंता एवं तनाव का अनुभव करता है, जिससे उसके दैनिक जीवन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। उचित मनोवैज्ञानिक परामर्श, सकारात्मक सामाजिक समर्थन, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं तनाव प्रबंधन के साथ आयुर्वेदिक उपचार – जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, तुलसी का काढ़ा, त्रिफला एवं नियमित योग एवं प्राणायाम – का संयोजन इस विकार के प्रबंधन में सहायक हो सकता है; यदि लक्षणों में कोई परिवर्तन दिखाई दे, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।