ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune Hepatitis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस एक पुरानी लिवर की सूजन वाली स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही लिवर सेल्स पर हमला कर देती है। इससे लिवर में सूजन, क्षति एवं समय के साथ फैब्रॉसिस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यदि उचित उपचार न हो तो यह लिवर सिरोसिस या एंड-स्टेज लिवर डिजीज में परिवर्तित हो सकता है।
[b]कारण
⚠ [b]ऑटोइम्यून प्रक्रियाशरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही लिवर सेल्स को विदेशी समझ कर उन पर हमला करती है।
⚠ [b]आनुवांशिक प्रवृत्तिपरिवार में लिवर संबंधित ऑटोइम्यून विकारों का इतिहास होने से जोखिम बढ़ जाता है।
⚠ [b]पर्यावरणीय ट्रिगर्सकुछ बाहरी कारक जैसे संक्रमण, विषाक्त पदार्थों का संपर्क एवं हार्मोनल असंतुलन ऑटोइम्यून प्रक्रिया को उत्तेजित कर सकते हैं।
[b]लक्षण
⚠ [b]थकान एवं कमजोरीरोगी को अक्सर अत्यधिक थकान एवं ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
⚠ [b]पीलेपन (जॉन्डिस)त्वचा एवं आंखों में पीलेपन, जिससे आंखों का सफेद भाग पीला दिखने लगता है।
⚠ [b]दाएं ऊपरी पेट में दर्दअक्सर दाएं ऊपरी पेट में भारीपन या दर्द होता है।
⚠ [b]भूख में कमी एवं वजन घटनाखाने में रुचि कम हो जाती है एवं वजन में गिरावट आ सकती है।
⚠ [b]अस्पष्टता एवं मानसिक असमंजसकुछ मामलों में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई एवं हल्की मानसिक असमंजस की स्थिति भी देखी जा सकती है।
[b]आयुर्वेदिक उपचार⚠ [b]गुडुचीगुडुची का सेवन लिवर की सूजन कम करने एवं विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक माना जाता है।
⚠ [b]कुटकीकुटकी (पिकरोहिजा कुरोआ) लिवर के कार्य में सुधार एवं रक्त शुद्धिकरण में लाभकारी है।
⚠ [b]पुनर्नवापुनर्नवा लिवर के ऊतकों के पोषण एवं मरम्मत में सहायक हो सकती है।
⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा मानसिक तनाव कम करने एवं शरीर की शक्ति बढ़ाने में उपयोगी है, जिससे रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली संतुलित रहती है।
⚠ [b]ब्राह्मीब्राह्मी का सेवन मानसिक स्थिरता एवं स्मरण शक्ति में सुधार लाने में सहायक है।
⚠ [b]योग एवं प्राणायामनियमित योग, ध्यान एवं अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है एवं रक्त परिसंचरण में सुधार आता है, जिससे लिवर तक पर्याप्त पोषण पहुंचता है।
⚠ [b]संतुलित आहारविटामिन डी, कैल्शियम एवं एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार लिवर के स्वास्थ्य में सुधार एवं सूजन नियंत्रित करने में सहायक होता है।
[b]रोकथाम के उपाय
⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांचलिवर फंक्शन टेस्ट एवं नियमित जांच से रोग के प्रारंभिक संकेतों का शीघ्र पता लगाया जा सकता है।
⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं पर्याप्त नींद से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है।
⚠ [b]हानिकारक पदार्थों से बचावअत्यधिक शराब, धूम्रपान एवं विषाक्त रसायनों के संपर्क से बचना लिवर की सुरक्षा में सहायक है।
⚠ [b]तनाव प्रबंधनयोग, ध्यान एवं पर्याप्त विश्राम से मानसिक तनाव को नियंत्रित रखना रोग प्रगति में सहायक होता है।
[b]निष्कर्षऑटोइम्यून हेपेटाइटिस एक गंभीर लिवर विकार है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से लिवर सेल्स पर हमला करती है। उचित चिकित्सकीय देखरेख, नियमित जांच एवं स्वस्थ जीवनशैली के साथ आयुर्वेदिक उपचार – जैसे गुडुची, कुटकी, पुनर्नवा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, संतुलित आहार एवं नियमित योग एवं प्राणायाम – का संयोजन रोग के प्रभाव को कम करने एवं रोगी के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक हो सकता है; यदि लक्षण बढ़ें, तो शीघ्र विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।

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