ऐक्टिनिक केराटोसिस - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय परिचय ऐक्टिनिक केराटोसिस एक त्वचा विकार है जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों के दीर्घकालिक संपर्क के कारण उत्पन्न होता है। यह समस्या मुख्य रूप से उन लोगों में देखी जाती है जो लंबे समय तक धूप में रहते हैं। इसमें त्वचा पर खुरदुरे, परतदार एवं लाल-भूरे धब्बे बन जाते हैं जो समय के साथ कैंसर का रूप भी ले सकते हैं। यह विकार आमतौर पर चेहरे, हाथ, कान, गर्दन, सिर की खाल एवं होंठों पर विकसित होता है। कारण ⚠ अत्यधिक सूर्य संपर्क धूप में अधिक समय बिताने से त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है जिससे ऐक्टिनिक केराटोसिस विकसित हो सकता है। ⚠ पराबैंगनी (UV) किरणों का प्रभाव UV किरणें त्वचा की गहराई तक जाकर डीएनए को प्रभावित करती हैं जिससे असामान्य वृद्धि होने लगती है। ⚠ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली यदि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, तो त्वचा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करने में असमर्थ हो जाती है जिससे रोग की संभावना बढ़ जाती है। ⚠ हल्की त्वचाजो लोग प्राकृतिक रूप से गोरी त्वचा वाले होते हैं, उनमें इस विकार का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनकी त्वचा में मेलेनिन की मात्रा कम होती है। ⚠ [b]आर्टिफिशियल टैनिंग सूर्य स्नान (Tanning) एवं आर्टिफिशियल UV लैंप से त्वचा को नुकसान होता है जिससे यह समस्या विकसित हो सकती है। लक्षण ⚠ खुरदुरे एवं परतदार धब्बे त्वचा पर छोटे, खुरदुरे एवं परतदार धब्बे उभरते हैं जो लाल, गुलाबी या भूरे रंग के हो सकते हैं। ⚠ त्वचा की खुजली एवं जलन प्रभावित क्षेत्र में हल्की खुजली, जलन या दर्द हो सकता है। ⚠ सूखी एवं फटी त्वचा यह धब्बे सूखकर फट सकते हैं एवं उन पर पपड़ी जम सकती है। ⚠ समय के साथ धब्बों का बड़ा होना यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो ये धब्बे धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं एवं स्किन कैंसर का रूप ले सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेद में ऐक्टिनिक केराटोसिस का उपचार शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर, त्वचा की मरम्मत कर एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर किया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं: ⚠ नीम नीम में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं एवं कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक होते हैं। ⚠ हल्दी हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है जो सूजन को कम करता है एवं त्वचा की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। ⚠ एलोवेरा एलोवेरा जेल ठंडक प्रदान करता है, जलन कम करता है एवं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक होता है। ⚠ त्रिफलात्रिफला शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर त्वचा को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ एवं चमकदार बनाए रखता है। ⚠ [b]मंजीठामंजीठा एक उत्कृष्ट रक्त शोधक है जो त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने में प्रभावी होती है। ⚠ [b]तुलसी तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर संक्रमण एवं जलन से राहत देते हैं। ⚠ घृतकुमारी (एलोवेरा) एवं नारियल तेलएलोवेरा जेल एवं नारियल तेल मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से त्वचा की सूजन एवं जलन में राहत मिलती है। [b]रोकथाम के उपाय ⚠ सूर्य से बचाव करें धूप में अधिक समय बिताने से बचें एवं सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सूरज की किरणों के सीधे संपर्क में न आएं। ⚠ सनस्क्रीन का उपयोग करें कम से कम SPF 30 युक्त सनस्क्रीन लगाएं, विशेष रूप से चेहरे, गर्दन एवं हाथों पर। ⚠ पूरी बाजू के कपड़े पहनें हाथों, पैरों एवं चेहरे को ढकने वाले कपड़े पहनें ताकि सूर्य की किरणों का सीधा प्रभाव न पड़े। ⚠ स्वस्थ आहार अपनाएं हरी सब्जियां, फल एवं विटामिन C युक्त आहार का सेवन करें ताकि त्वचा की रक्षा प्रणाली मजबूत हो। ⚠ पर्याप्त पानी पिएं शरीर को हाइड्रेटेड रखने से त्वचा की नमी बनी रहती है एवं क्षतिग्रस्त कोशिकाएं तेजी से ठीक होती हैं। ⚠ नियमित त्वचा जांच कराएं यदि त्वचा पर कोई असामान्य परिवर्तन दिखे, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लें। निष्कर्ष ऐक्टिनिक केराटोसिस एक त्वचा विकार है जो सूर्य की UV किरणों के कारण होता है एवं समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह स्किन कैंसर का कारण बन सकता है। इससे बचाव के लिए सूर्य से बचाव, उचित आहार एवं आयुर्वेदिक उपचार अत्यंत आवश्यक हैं। हल्दी, नीम, एलोवेरा, त्रिफला एवं तुलसी जैसे आयुर्वेदिक उपाय त्वचा की सुरक्षा एवं उपचार में सहायक हो सकते हैं। यदि त्वचा पर कोई असामान्य परिवर्तन हो रहा हो, तो शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।