कॉन्जेनिटल हाइपोथाइरायडिज्म (Congenital Hypothyroidism) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
कॉन्जेनिटल हाइपोथाइरायडिज्म एक जन्मजात स्थिति है जिसमें नवजात शिशु के थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है। इससे शारीरिक एवं मानसिक विकास में मंदता आ सकती है यदि समय रहते उपचार न किया जाए। नियमित स्क्रीनिंग एवं शीघ्र निदान से इस स्थिति का प्रभाव कम किया जा सकता है।
कारण
⚠ [b]थायरॉइड ग्रंथि का असामान्य विकासअधिकांश मामलों में थायरॉइड ग्रंथि का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता जिससे हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है।
⚠ [b]थायरॉइड हार्मोन निर्माण में दोषकुछ मामलों में ग्रंथि के अंदर हार्मोन के निर्माण में आंतरिक दोष (डिस्फॉर्मेशन) हो सकते हैं।
⚠ [b]गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमीमातृ आहार में आयोडीन की कमी से भ्रूण के थायरॉइड हार्मोन के स्तर पर असर पड़ता है।
⚠ [b]आनुवांशिक कारणपरिवार में इस स्थिति का इतिहास होने से नवजात शिशु में इस विकार के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
[b]लक्षण
⚠ [b]धीमी शारीरिक वृद्धिनवजात शिशु में वजन एवं लंबाई की वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी हो सकती है।
⚠ [b]त्वचा में सूखापन एवं बालों का पतलापनशिशु की त्वचा रूखी हो सकती है एवं बाल कम या पतले दिखाई दे सकते हैं।
⚠ [b]चाल चलन में मंदताशारीरिक गतिविधियों एवं मांसपेशियों की ताकत में कमी देखी जा सकती है।
⚠ [b]मानसिक विकास में बाधाउचित उपचार न होने पर संज्ञानात्मक विकास में मंदता आ सकती है, जिससे सीखने तथा बोलने में कठिनाई हो सकती है।
⚠ [b]अन्य सामान्य लक्षणनींद में अधिकता, ठंड लगना एवं कब्ज जैसी समस्याएं भी देखी जा सकती हैं।
[b]आयुर्वेदिक उपचारकॉन्जेनिटल हाइपोथाइरायडिज्म के पूरक उपचार हेतु आयुर्वेदिक उपाय केवल सहायक के रूप में अपनाए जा सकते हैं; इन्हें आधुनिक चिकित्सा के उपचार के साथ संयोजन में उपयोग करना उचित है:
⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा शारीरिक विकास एवं ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होती है।
⚠ [b]शंखपुष्पीशंखपुष्पी मानसिक विकास एवं स्मरण शक्ति में सुधार लाने में उपयोगी मानी जाती है।
⚠ [b]गुडूचीगुडूची विषाक्त पदार्थों के निष्कासन एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक होती है।
⚠ [b]त्रिफलात्रिफला पाचन तंत्र को साफ रखने एवं शरीर से विषाक्तता दूर करने में मदद करता है।
⚠ [b]योग एवं ध्याननियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है तथा समग्र स्वास्थ्य में सुधार आता है।
[b]रोकथाम के उपाय
⚠ [b]नवजात शिशु की नियमित स्क्रीनिंगजन्म के तुरंत बाद थायरॉइड हार्मोन के स्तर की जांच कराना आवश्यक है ताकि शीघ्र निदान संभव हो।
⚠ [b]गर्भावस्था में संतुलित आहारमाताओं को आयोडीन युक्त संतुलित आहार एवं आवश्यक पोषक तत्वों का सेवन सुनिश्चित करना चाहिए।
⚠ [b]परिवारिक इतिहास का ध्यानयदि परिवार में इस स्थिति का इतिहास हो तो गर्भावस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतें एवं नियमित चिकित्सकीय परामर्श लें।
⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैलीसंतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं पर्याप्त आराम से समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है एवं हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
[b]निष्कर्षकॉन्जेनिटल हाइपोथाइरायडिज्म एक जन्मजात विकार है जिसमें थायरॉइड हार्मोन का अपर्याप्त उत्पादन शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रभाव डालता है। समय पर स्क्रीनिंग एवं उचित चिकित्सकीय उपचार से इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपाय जैसे अश्वगंधा, शंखपुष्पी, गुडूची, त्रिफला एवं नियमित योग एवं ध्यान केवल पूरक के रूप में सहायक हो सकते हैं। संतुलित आहार एवं मातृ स्वास्थ्य का ध्यान रखकर इस स्थिति के जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण प्रकट हों तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।

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