डाइवर्टिकुलर डिजीज (Diverticular Disease) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपाय
परिचय
डाइवर्टिकुलर डिजीज आंत की भीतरी दीवार पर छोटे-छोटे थैले (डाइवर्टिकुला) के निर्माण को दर्शाती है। ये थैले सामान्य रूप से बड़ी आंत के कमजोर क्षेत्रों में बनते हैं। यदि ये थैले सूजन या संक्रमण के कारण परेशान करें तो स्थिति को डाइवर्टिकुलिटिस कहा जाता है। यह रोग विशेषकर वृद्धावस्था में अधिक देखा जाता है और आंत के दबाव एवं पाचन क्रिया में असमानता के कारण उत्पन्न होता है।
कारण
कम फाइबर युक्त आहार
फाइबर की कमी से आंत में दबाव बढ़ जाता है जिससे आंत की दीवार पर थैले बनने लगते हैं।
अधिक उम्र
उम्र बढ़ने के साथ आंत की दीवार कमजोर हो जाती है जिससे थैले बनने की संभावना बढ़ जाती है।
कब्ज एवं मोटापा
कब्ज और अतिरिक्त वजन के कारण आंत पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
⚠ [b]कम शारीरिक गतिविधिअसक्रिय जीवनशैली आंत के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
[b]लक्षण⚠ [b]पेट में दर्द एवं असहजताखासतौर पर निचले पेट में दर्द एवं हल्का भारीपन महसूस होता है।
⚠ [b]बदहजमी एवं फुलावपाचन क्रिया में बाधा तथा पेट में फुलाव की शिकायत हो सकती है।
⚠ [b]कब्ज या दस्त में परिवर्तनमल त्याग के नियमों में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
⚠ [b]अगर संक्रमण हो तो बुखार एवं उल्टीगंभीर मामलों में सूजन से बुखार, उल्टी एवं सामान्य अस्वस्थता उत्पन्न हो सकती है।
[b]आयुर्वेदिक उपचारडाइवर्टिकुलर डिजीज के पूरक उपचार हेतु आयुर्वेदिक उपाय पाचन तंत्र को मजबूत बनाने एवं विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में सहायक होते हैं:
⚠ [b]त्रिफलात्रिफला पाचन तंत्र को साफ रखने एवं आंत से विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद करता है।
⚠ [b]इसेबगोलइसेबगोल आंत की मॉइस्चराइजिंग एवं मल त्याग को नियमित रखने में सहायक होता है।
⚠ [b]हल्दीहल्दी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन एवं दर्द को कम करने में लाभकारी होते हैं।
⚠ [b]अदरकअदरक पाचन क्रिया को सुधारने एवं आंत की गतिशीलता बढ़ाने में उपयोगी है।
⚠ [b]योग एवं ध्याननियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से मानसिक तनाव में कमी आती है एवं पाचन तंत्र में सुधार होता है।
[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]संतुलित आहार अपनाएंफलों, सब्जियों एवं फाइबर युक्त अनाज का सेवन आंत के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
⚠ [b]नियमित व्यायाम करेंशारीरिक गतिविधि से आंत पर दबाव कम होता है एवं पाचन क्रिया सुचारू रहती है।
⚠ [b]पर्याप्त पानी पिएंदिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पाचन तंत्र में सुधार आता है।
⚠ [b]नियमित चिकित्सकीय जांच कराएंसमय-समय पर जांच से प्रारंभिक अवस्था में रोग का पता चल सकता है एवं उचित उपचार संभव हो सकता है।
⚠ [b]स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंतनाव कम करने एवं संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार हेतु संतुलित जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।
[b]निष्कर्षडाइवर्टिकुलर डिजीज आंत की दीवार पर थैले बनने से उत्पन्न होने वाला रोग है जो यदि सूजन या संक्रमण के कारण गंभीर रूप ले तो डाइवर्टिकुलिटिस बन सकता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी एवं नियमित चिकित्सकीय जांच से इस स्थिति के जोखिम को कम किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपाय जैसे त्रिफला, इसेबगोल, हल्दी, अदरक एवं योग एवं ध्यान केवल पूरक के रूप में सहायक हो सकते हैं। यदि लक्षण दिखाई दें तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।

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