प्लांटर फासिओसिस (Plantar Fasciosis) - परिचय, कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार एवं रोकथाम के उपायपरिचय प्लांटर फासिओसिस एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें पैर के तल (प्लांटर फेशिया) में सूक्ष्म ऊतकों के क्षरण एवं सूजन के कारण दर्द होता है। यह समस्या विशेषकर ऊपरी हिस्से में या एड़ी के पास महसूस होती है और अक्सर सुबह उठते समय या लंबे समय तक चलने के बाद तीव्र दर्द पैदा कर सकती है।कारण ⚠ [b]अत्यधिक दबाव एवं दोहराव वाले माइक्रो-ट्रॉमालंबे समय तक खड़े रहने, दौड़ने या अत्यधिक चलने से प्लांटर फेशिया पर लगातार दबाव पड़ता है, जिससे ऊतकों का क्षरण हो सकता है। ⚠ [b]अनुचित फुटवेयरअस्पष्ट या कम सहारा देने वाले जूते पहनने से पैर के अंगों पर असामान्य दबाव पड़ता है। ⚠ [b]अस्वास्थ्यकर जीवनशैली एवं मोटापाअतिरिक्त वजन से पैर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे फासिओसिस की संभावना बढ़ जाती है। ⚠ [b]असामान्य पैर की संरचनाजैसे कि फ्लैट फीट या उच्च आर्च होने से भी प्लांटर फेशिया पर असामान्य तनाव बढ़ सकता है।[b]लक्षण⚠ [b]एड़ी या पैर के तल में दर्दखासतौर पर सुबह उठते समय या लंबे समय तक चलने के बाद एड़ी के पास तीव्र दर्द होता है। ⚠ [b]पैर में असुविधा एवं जकड़नचलने या खड़े रहने में कठिनाई तथा पैर में अकड़न का अनुभव होता है। ⚠ [b]सूजन एवं जलनपैर के तल में सूजन और हल्की जलन भी महसूस हो सकती है।[b]आयुर्वेदिक उपचारप्लांटर फासिओसिस के पूरक उपचार हेतु आयुर्वेदिक उपाय पाचन, विषाक्त पदार्थों के निष्कासन एवं सूजन कम करने में सहायक हो सकते हैं: ⚠ [b]अश्वगंधाअश्वगंधा तनाव कम करने, ऊर्जावर्धन एवं सूजन में राहत प्रदान करने में सहायक है। ⚠ [b]हल्दीहल्दी के सूजन रोधी एवं एंटीऑक्सीडेंट गुण सूजन एवं दर्द को नियंत्रित करने में उपयोगी होते हैं। ⚠ [b]त्रिफलात्रिफला पाचन तंत्र को साफ रखने एवं शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद करता है। ⚠ [b]नीमनीम के अर्क में प्राकृतिक संक्रमण रोधी गुण होते हैं, जो ऊतकों की मरम्मत में सहायक हो सकते हैं। ⚠ [b]गोक्षुरगोक्षुर हड्डियों एवं जोड़-तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है, जिससे पैर की संरचनात्मक मजबूती में सुधार हो सकता है। ⚠ [b]योग एवं ध्याननियमित योग, ध्यान एवं प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है एवं संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार आता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखता है। ⚠ [b]अभ्यांगनियमित तिल के तेल या अन्य आयुर्वेदिक तेल से पैर की मालिश करने से रक्त संचार में सुधार एवं सूजन कम करने में मदद मिल सकती है।[b]रोकथाम के उपाय⚠ [b]उचित फुटवेयर पहनेंसहारा देने वाले, आरामदायक और सही आकार के जूते पहनकर पैर पर पड़ने वाले दबाव को कम करें। ⚠ [b]वजन नियंत्रणसंतुलित आहार एवं नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रित रखें, जिससे पैर पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। ⚠ [b]नियमित स्ट्रेचिंग एवं व्यायामपैर की मांसपेशियों और फेशिया को मजबूत करने हेतु नियमित स्ट्रेचिंग एवं व्यायाम करें। ⚠ [b]पैर की उचित देखभालपैरों की सफाई, नियमित अभ्यांग एवं आराम सुनिश्चित करें ताकि ऊतकों में रक्त संचार बना रहे। ⚠ [b]पर्याप्त पानी पिएंदिन भर में पर्याप्त पानी पीने से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निष्कासन सुचारू रहता है।[b]निष्कर्षप्लांटर फासिओसिस एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें पैर के तल में सूजन, क्षरण एवं दर्द होता है, खासकर एड़ी के पास। आधुनिक चिकित्सा द्वारा उचित उपचार एवं आराम महत्वपूर्ण है; साथ ही पूरक आयुर्वेदिक उपाय जैसे अश्वगंधा, हल्दी, त्रिफला, नीम, गोक्षुर, योग एवं अभ्यांग से सूजन कम करने एवं समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है। उचित फुटवेयर, वजन नियंत्रण, नियमित व्यायाम एवं स्वच्छ जीवनशैली अपनाकर इस स्थिति के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है; यदि लक्षण बढ़ें तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक है।